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Showing posts from February, 2018

कका के बिहाव (सार-छंद)

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*कका के बिहाव* (सार-छंद) कका बता कब करबे शादी,देख जवानी जाथे ! बइठे रोथे दादी दादा,संसो घानी खाथे !!1!! ढ़ींचिक-ढ़ींचिक नाचत जाबो,बनके तोर बराती ! पागा-पगड़ी माथ बँधाये,देखे राह घराती !!2!! गँड़वा-डीजे जेन लगाले,नागिन पार बजाबो ! बुड़हा-बुड़ही रंग जमाही,सबला खींच नचाबो !!3!! दाई कइही जी देरानी,घर अँगना के रानी! आव-भाव मा देवी रइही,देही सबला पानी !!4!! रोजगार के करले जोखा,करथच रोज बहाना ! गाँव गली मा सुनथे बाबू,देथैं कतको ताना !!5!! नवा-नवा तो कपड़ा लाबे,बनबे बढ़िया राजा ! इसनो अबरख साज लगाबे,दिखबे सुघ्घर ताजा !!6!! काकी पाबो भाग जगाबो,मया दया तो देही ! पइधे रइबो हमतो रोजे,चूमा-चटका लेही !!7!! अटकन-चटकन वो खेलाही,हार-जीत के खेला ! ठोंस सजा हे चीपो-लादो,पाही रोज झमेला !!8!! केंउ मेंउ के पारी आही,हमतो कान बचाबो ! काकी लमरत दौंड़ लगाही,ओला तेज भगाबो !!9!! पत्तो कइही आरा-पारा,तोरे सोर उड़ाही ! कइबे तँयहर चटनी पीसे,बोलत साठ गुड़ाही !!10!! गाहीं बढ़िया गीत भड़ौनी,सुनबो कान दबाके! खाबो पींयर भात अघाके,लाडू खास चबाके !!11!! देख कका तँय करले शादी,देख-ताक के आजा ! जाबो आँस

डाक्टर बिलवा महराज के बेटा पीच दारू

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*डाक्टर बिलवा महराज के बेटा पीच दारू* आज गाँव म स्वच्छता अभियान बर रैली निकले हे,मेडम-गुरु जी मन आगू-पाछू रेंगत हेें ! स्कूल के जतका लइका हें सब लाईन लगाय ओरी-ओर रेंगत हवैं अउ नारा लगात हें ! *स्वच्छता लाना हे.. गाँव बचाना हे* , *बोलव दीदी बोलव भईया हर-हर...शौंचालय बनवाबो घर-घर* नारा ल चिल्लावत रैली ह जावत हे ! भक्कल अपन दुकान म बइठे-बइठे देखत हे संग म वोकर  गोसइन चुनिया घलो हे भक्कल चुनिया ल कइथे ए गाँव के कुछ नइ हो सकै, चुनिया कइथे सहीं काहत हवच ! भक्कल खुर्सी ले उठथे दुकान के कोंट्टा म परे *कचरा पेटी-टीपा* ल उठाथे अउ हमला का करे ल हे *जेकर शासन तेकर भाषन* कहत टीपा के कचरा ल दुकान के आगू के डीपरा म फेंक देथे ! ओही मेरा गाँव के संड़हवा अउ गाय मन बइठे रइथे भक्कल ल कचरा फेंकत देख के गरुआ मन आके कुछु खाय के फेंके होही कइके छुछनथें कुछु नइ मिलै त कागज-पाथर अउ झिल्ली ल चगुलाय ल धर लेथें!  भक्कल हर्रे कहत दुकान डाहर आके अपन गोसइन चुनिया ल कइथे सुन तो आज बिलासपुर जाहँव दुकान ल सम्भालबे ! चुनिया कइथे ठीक हवै जी! अब भक्कल ओ मेर ल चल देथे, *थोकन बाद नहा-खोर के भक्कल दुकान म ओलिहाथे अउ आगरबत्ती

गुरु घासीदास नगर निकुम दुर्ग में सम्मान समारोह एवं पंथी की हुंकार

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*निकुम में पंथी का हुंकार* निकुम ग्राम के पंथी प्रतियोगिता के आयोजन में लोकसभा सांसद डॉ.भूषणलाल जांगड़े जी पहुंचे और जैतखाम में दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ कर  गुरु जी के सतज्ञान व मार्ग में चलने के लिए लोगों को आग्रह किए तथा नशामपक्तिकरण से जुड़ने के लिए आहवान किए!  27 जनवरी 2018 को गुरु घासीदास नगर निकुम जिला दुर्ग में उत्कृष्ट समाजिक कार्य हेतु पंथी के पितामह आदरणीय पुरानिक लाल चेलक जी एवं ग्राम  निकुम सतनामी समाज के द्वारा अंत्तराष्ट्रीय पंडवानी एवं पंथी गायिका उषा बारले जी  एवं अमर दास मांडले जी, छत्तीसगढ़ प्रगतिशील सतनामी समाज के महासचिव आदरणीय सेवक राम बांधे जी, डॉ.. बी.आर.बनर्जी जी भिलाई, मोहन लाल भतरीया जी तथा साधराय मांडले जी एवं श्री असकरन दास जोगी जी को समाजिक उत्कृष्ट कार्य हेतु सम्मानित किया गया... निकुम ग्राम की बालिका पंथी पार्टी छत्तीसगढ़ में पंथी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने की खुशी में ग्राम निकुम की समाजिक संगठन द्वारा पंथी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था ! जिसमें छत्तीसगढ़ से दूर दूर से पंथी दल प्रस्तुति देने पहुुँचे थे!  निकुम गांव की पावन धरा

छत्तीसगढ़ प्रदेश स्तरीय छंद कवि गोष्ठी

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छत्तीसगढ़ प्रदेश स्तरीय छंद कवि गोष्ठी संपन्न  छन्द  के छ परिवार के  दीवाली मिलन अउ राज्य  स्तरीय  कवि गोष्ठी के सफल आयोजन दिनांक 12/11/17 के वि.खं. सिमगा के  ग्राम  हदबंद मा अतिथि साहित्यकार छन्द विद् श्री अरुण  निगम दुर्ग, विदूषी श्रीमती शंकुन्तला शर्मा भिलाई, श्रीमती सपना निगम, श्री सूर्यकांत गुप्ता दुर्ग के गरिमामयी उपस्थिति मा सम्पन्न होइस । कार्यक्रम मा  गाँव के सरपंच श्रीमती सरिता रामसुधार जाँगड़े, श्री संतोष धर दीवान मन अतिथि  के  रूप  मा उपस्थित  रहिन।        कार्यक्रम  के  शुरुआत अतिथि मन द्वारा मां सरस्वती  के  छाया चित्र मा पूजा अर्चना अउ दीप प्रज्वलन  ले होइस। छ्न्द साधक श्री मोहनलाल वर्मा  हा गीतिका छंद  मा सरस्वती बंदना  प्रस्तुत करिन। स्वागत सत्कार के बाद कार्यक्रम के  संचालक श्री अजय अमृतांशु  हा सबले पहिली छंद पाठ  करे के नेवता  श्री  जितेन्द्र वर्मा कोरबा ला दीन। वर्मा  जी  हा सार छन्द  मा अपन रचना "मोर पंख ला मूँड़ लगा दे" प्रस्तुत करके सबके मन ला मोह लीन । तेकर पाछू कबीर धाम ले पधारे  श्री  ज्ञानु दास मानिकपुरी "प्रभु  तोला खोजव कहाँ मंदिर  मस्जिद

विद्रोही

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*विद्रोही* कहो तब तो कुछ बात बने भाई! यहाँ जीवन हैं कुँआ और खाई !! दबाकर जिभ्या मित्रों क्यों आये ! शहर है गाँव नही  अनुनय लाये !! पत्र से सबके लिए पतन चुनेंगे! करो शोर तब लोग माँग सुनेंगे !! दमन होते नीत क्रांत्ति तुम जानो ! चाह नही अब शांत्ति मन में ठानो !! ज्वालामुखी के मुख लावा छोड़ो ! कुशासन के आधार स्तम्भ तोड़ो !! समय नही लो मशाल और भागो! विद्रोह करो विद्रोही तुम जागो !!1!! नेह यहीं त्यागो स्वजन होने में ! क्षमा क्यों विश्वासघात करने में !! घोर गरीबी यहाँ हम क्यों ढ़ोते ! जात-धर्म से नीत पीड़ित होते !! व्यवस्था जर्जर बना भारत रोता ! शोषक जागते हैं शोषित सोता !! नेता चतुर चंचल चाल चले रे ! भ्रष्टता का पूत देखो पले रे !! महानदी से अब उड़ेलो पानी ! नष्ट करो पाप नव गढ़ो कहानी !! समय नही लो मशाल और भागो ! विद्रोह करो विद्रोही तुम जागो !!2!! देखो तुमसे अधिकारें छिने हैं ! मिला जो वह भी कुछ गिने चुने हैं !! शिक्षा में समता चलाना होगा ! रोजगार नव लव जलाना होगा !! मेहनत का बैहतर मूल्य पाना ! लक्ष्य रखो तुम स्वाभिमान जगाना !! नारी-नर में भेद-भाव मिटाओ ! मानव