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Showing posts from April, 2018

स्वराज के कड़िहार

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*स्वराज के कड़िहार* फेर भटाँगर बनके फूटत हे,अंतस के क्रांत्ति ! धधकत हे बमलत हे मशाल,नइहे मन मा शांत्ति !! होगे अठरा बछर,छत्तीसगढ़ मा स्वराज कहाँ ! परदेशिया मन खावत बोटी,बनके बाज इहाँ !! अमरबेल कस छछले,इहाँ उहाँ ले केत कतका ! धरके फरसा काट डारव,दम देखावव अतका !! रोत किसान धरे माथा,खेती तो काल बनगे ! शोषण होवत देखव,अब कहानी कतका तनगे !! बादर कस गरजहूँ,तभे सुनहव का मोर संगी ! परदेशिया खेल खेलावत,आज रंग बिरंगी !! राजधानी अँजोर हवै,परे हमर घर अँधियार ! विकास के लोभ देखाके,लूटत हें होंशियार !! परखव जानव मानव,तब लड़ पाहव अधिकार बर ! नइते मर जाहव भाई,शोषक बर हथियार धर !! पुरखा के सपना सच करव,झन बनव रे बनिहार ! स्वराज बर जान गवाँदव,सत्य के बनव कड़िहार !! गरीब लंगटा रहिगेन,बाहरी मनखे बड़हर ! जवाब जब माँगथन ता,सरकार करथे ओड़हर !! छत्तीसगढ़िया संस्कृति ला,डसत हें साँप मन ! भाषा ला बढ़न नइ देवत हें,झोला छाप मन !! लोटा धरके आईन,अब राज करत हें गोखी ! धरती पानी पवन खनिज बर,लगाये हें ओखी !! बैपारी बनके लूट डरिन,हमर झोली खाली ! ग्राहक बनके भोंदात हन,बइरी ठोंकैं ताली !! बेटी के

धर्म पे लगे विसुका

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*धर्म पे लगे विसुका* देखो यह राज कोई तो खोलो ! धर्म किसने बनाया आज बोलो !! कौन बना पहले धर्म या दुनिया ! नाप रहा हूँ लेकर ध्यान गुनिया !! नैतिकता क्यों दबती जा रही है ! मानवता अब मरती जा रही है !! बड़़े शान से धर्मगुरु कहलाते ! धर्म आड़ में पाप भी कर जाते !! प्रश्न करो तो कहते धर्म-द्रोही ! कब कैसे बन गया मैं विद्रेही !! व्याकुल है अंतर उपाय सुझाओ ! जिज्ञासा की लव कोई बुझाओ !!1!! ईश्वर बना है या मानव पहले ! किसने किसका प्रकार गढ़ा कह-ले !! भ्रम क्यों फैलाये चमत्कारों का ! विश्व बनाया सड़ते विकारों का !! शोषक शोषित दो प्रकार बटे हैं ! धर्म भेद में लड़ने को डटे हैं !! युध्दों से रक्त की नदियाँ बहती ! प्रकृति छाती ठोंक तड़पती रहती !! कैसी निष्ठुरता ईश्वर कहाँ रे ! मानवता मिटता देखो यहाँ रे !! लेकर कलम तनकर मैं लिखता हूँ ! उत्तर पाने को प्रश्न करता हूँ  !!2!! कौन ? हिंदू मुस्लिम सिक्ख इसाई ! बोल कितने और धर्म है भाई !! धर्म प्रकृति का मूल गुण है जानो ! धर्म-धर्म का भेद तो पहचानो !! विश्व में दया प्रेम को त्याग रहे ! अहिंसा की गलियों से भाग रहे !! सत्य क्षमा ध

देवासूर-संग्राम

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*देवासूर संग्राम* दर्द कराहेगा स्वर बनकर,तब सब याद किए जायेंगे ! स्वप्न बहेगा आँसू बनकर,तभी जन-मन क्रांत्ति लायेंगे !!1!! छलनी होंगे सम्मान जहाँ,और शोषक जन लताड़ेंगे ! न्याय अधिकार दब जाएगा,तभी शोषित जन दहाड़ेंगे !!2!! सहिंष्णुता धीरज खो देगा,इनके छल-अत्याचारों से ! ज्वालामुखियाँ फूट पड़ेंगे,ह्रदय क्रोड के उदगारों से !!3!! धरती शासन शौर्य लूटकर,हमारे ही धन में पले हो ! भूत हमारा धूमिल करके,देख *आज* मिटाने चले हो !!4!! अमृत प्याला ग्राह कर अड़ते,दंश भोगी कब तक ना लड़े ! शोषक समृध्दि के स्वर्ग चढ़े,शोषित क्यों अब पाताल गड़े !!5!! सतयुग द्वापर त्रेता छल-बल,कलयुग में भण्डा फोड़ पड़ा ! चमत्कारी मिडिया सयाने,देख आज कवच बनकर खड़ा !!6!! देव ब्रम्हास्त्र कहाँ चलेगा,जब जागृत उद्वेलित होगा! सत्ता जब जागीर बनेगा,देवासूर संग्राम होगा !!7!! *रचनाकार-असकरन दास जोगी* मो.नं.-9340031332 www.antaskegoth.blogspot.com