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Showing posts from September, 2018

वक्ता मंच के साहित्य बुक में स्थान

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छत्तीसगढ़ नागरिक अधिकार समिति के महासचिव एवं साहित्य संगठन वक्ता मंच के संयोजक आदरणीय शुभम साहू जी से सप्रेम मिलन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 23 सितम्बर 2018 को फिर हुआ . वक्ता मंच द्वारा छत्तीसगढ़ के 21 रचनाकारों की रचना नशे के विरोध में कविता नामक शीर्षक से बुक प्रकाशित कराया गया है जिसमें सौभाग्य है कि मेरी भी रचना सम्मिलित है.... जय जोहार जय छत्तीसगढ़ जय सतनाम *दारू वाले बाबा* जय हो जय हो न कैलाश न काबा जय होवै तोर दारू वाले बाबा सादा लाली के रंग छाये गोलवा चेपटी सबो लहाये छत्तीसगढ़िया मन तो झूमरत हें परदेशिया मन चूहकत हें जगा जगा अहाता खुलगे अतका पइसा बाप रे सरकार के पाकिट फूलगे सब काम होवत ठेंकेदारी दारू तो होगे सरकारी भठ्ठी के भींड़ सरकार के शान बढ़ावत छत्तीसगढ़िया जनता के छै नहावत दारू मा नम्बर 1 आज होगेन मंदहा बेवड़ा बनके सुग्घर चाल खोगेन डौकी के लच्छा पुरखा के डोली लइका के सपना अरे लूटागे मीठ बोली अतका मया दारू बर परदेशिया मन के भरगे झोली दारू घर मा दुर्मित मचाये जब चढ़थे मुड़ मा तब काल बन जाये डौकी लइका पीट चलाथैं आरा पारा गजब

गौ रक्षक नहीं मैं गोसाई हूँ

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गौ रक्षक नहीं मैं गोसाई हूँ मेरी गायें मुझे देखकर रम्भाने लगती हैं उनकी आस उनकी आँखों में दिखता है मेरा भी गहरा प्रेम उन्हें मिलता है मुझे चिंता रहती है कि मेरी गायों को चारा पानी मिला या नहीं सचेत कुछ गम्भीर विषयों पर रहना पड़ता है जैसे गायें रेल में न कटे पन्नी न निगल लें सड़कों पर न जायें और ठोकर भी न खायें मैं अपनी गायों को आवारा घूमने नही देता आज कल चिंता का विषय यह भी है गाँवों में गौचर खत्म हो गए लोग बेज़ा कब्जा अधिक कर लिए फसल हार्वेस्टर से काटते हैं पैरा घांस मिलता नहीं लोग दुख बांटते हैं मैं गायों की सुरक्षा करने तत्पर हूँ पर गौ रक्षा के नाम पर आतंक नहीं मचाता कुछ लोग गाय गोबर गौ मूत्र पे भाषण पेल रहे हैं जिनके घर में गाय भी नहीं और जनता झेल रहे हैं कुछ लोग मुझ पर भी आरोप लगा रहे थे मैंने भी लोगों से बोल दिया गौ रक्षक नहीं मैं गोसाई हूँ  | असकरन दास जोगी मो. 9340031332 www.antaskegoth.blogspot.com

अवसर तो मिले

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अवसर तो मिले पंख हमें भी लग जाने दो उड़ेंगे खुले आसमान में संकोच झिझक को तोड़ते लड़ेंगे हम अपने आत्म सम्मान में कौंशल हममें भी है कोई पारखी परख तो कर लें आत्म विश्वास की भुजाओं में गज का बल हम भी भर लें प्रतियोगिता हम भी जीत सकते हैं कोई मंच तो मिले होंगे स्वर्ण पदक अपने आँगन में पर अवसर तो मिले साहस माँगता जंग है बाधक धन नहीं देखो दिव्यांग अंग है हमारा मन नहीं | असकरन दास जोगी मो. 9340031332 www.antaskegoth.blogspot.com

पावन पिरीत

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पावन पिरीत फेर नैन के जकनी बान चले नइ बांचै मन छंदाके रइही छांद बड़ा गजब माचा के बाना धरे मेकरा जाला तो बस नाँव के आँटत हे घेरा आस के आँच परे वो आखर आय आरो ले निकलथे वो मया आय हिरदे ले बगरथे बसथे सबके अंतस वोकर बिना हंसा कइसे रइही न रंग हे न रूप हे देख जनाही तभे तो चूप हे सब जानथैं एकर हाल सुरता ठोंकथे जेकर ताल जेन फंसगे तेन छटपटाथे ओला चैन कहाँ बेचैनी सुहाथे मयारू मिलन बर भुर्री बरही हंसा के छँइहाँ जब हंसा म परही देख लेहव दगदग ले मया दिखही तब तो दुनिया पावन पिरीत सिखही | असकरन दास जोगी मो.9340031332 www.antaskegoth.blogspot.com

जंगी आंदोलन होगा

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जंगी_आंदोलन_होगा छत्तीसगढ़ में हो क्या रहा है शासन प्रशासन घोर निद्रा मे हैं इनके कानों का सुराख बंद क्यों है सतनामी समाज के आवाज को सुना ही नहीं जा रहा है राज्यपाल मुख्यमंत्री कलेक्टर सबको ज्ञापन दिया जा रहा है फिर भी किसी थाने में FIR दर्ज क्यों नहीं हो रहा है सतनामी समाज यह सब सोंचो ऐसे शासन के गुण्डों को दबोचो जो हमारे नेता और प्रतिनीधि होने का दम्भ भरते वे भी सब चूप हैं कुछ नहीं करते आगे चुनाव में दूम हिलाते आयेंगे समाज का बेटा हूं यह कहते जायेंगे देखो देखो यह हाल बिगड़ा है देश का चाल गुनहगारों को एट्रोसीटी एक्ट में क्यों कैद नहीं करते हैं कुछ सूअर SC,ST Act का विरोध करते हैं पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के हिंदी अकादमी क्या इतिहास लिखवाते हो जब जानकारी नही है तुम्हें तो फिर अपना कलम क्यों चलाते हो प्रबोध अग्रवाल प्रकाशन को पकड़ो चौरसिया द्वय लेखक को जकड़ो ऐसा नही हुआ तो सतनामी का सम्मेलन होगा छत्तीसगढ़ बंद नही जंगी आंदोलन होगा #असकरन_दास_ जोगी

रासुका लगाते रहना

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*रासुका लगाते रहना* तुम अपने तराजू में हमारी सहिंष्णुता और असहिंष्णुता को न तौलो इन कुकृत्यों को बार-बार न दौहराओ अच्छी तरह से जानते हो हम कौन हैं तुम जितना गुरु घासीदास जी को जानते हो उतना गुरु बालक दास जी को नही जानते अरे सुनो... शांति साधे सतनामी को यूँ न उकसाओ अन्यथा वह होगा जो इतिहास में नहीं हुआ है फिर रासुका लगाते रहना जब क्रांतिवीर निकलेंगे साधक से सतनामी योध्दा में बदलेंगे ज्वालामुखी के फटने से छत्तीसगढ़ काँप जायेगा तुम्हारे आका जो दिल्ली में हैं दहशत में आ जायेगा देखो बात इतना है जो गलत किए हैं उन्हें सजा मिलना ही चाहिए चाहे लेखक हो या प्रकाशक या कोई अधिकारी सलाखों के पिछे दिखना चाहिए | दिनाँक : 14-09-2018 असकरन दास जोगी 9340031332 www.antaskegoth.blogspot.com

विद्रोही युग

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विद्रोही युग तस्वीर दिखाता हूँ इन शब्दों से युगों-युगों की है व्यथा बिन पलक झपकाये देखना मूलनिवासियों की है गाथा सुख था समृध्दि थी वैभव के उड़ते थे शोर पड़ी नज़र असित ह्रदय वालों की छाया अन्धकार घनघोर सुनो-सुनो संग्राम पर संग्राम हुआ रंग गई धरती रक्त की धार से कैसे बचते मूलनिवासी कुटिल छलियों के धोखे और वार से राजाओं को कैद किए जनता हुई गुलाम धर्म संस्कृति ग्रंथों से रचे नये मुकाम धन धरती और शिक्षा स्वाभिमान का भी लूटे अधिकार मूलनिवासी समाज में भर दिए विकार ही विकार जाति की खाई खोदे बांटे टुकड़ों-टुकड़ों में लड़ते भिड़ते हम रहते अपने ही पिण्डों में यह भी देखो और चिंतन करो जो मृत है जीवित होकर क्रांति का मशाल धरो तुम जाग रहे हो तुम जागो संघर्ष का है रास्ता लक्ष्य की ओर भागो श्रेष्ठ की श्रेष्ठता खतरे में बौखलाहट दिखता है रासुका जैसे कानून पल-पल में हमको मिलता है अब डोल रही हैं मुँह मोड़ रही हैं सिंहासन बत्तीसी की चमत्कारी सुंदरियाँ साथ छोड़ रही हैं सतयुग द्वापर त्रेता शूद्र दमन रहा जारी लो ज्वालामुखी फट गया कलयुग पड़ा भारी कब तक सहते जु

पालो

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पालो पालो जो सुख पालता समृध्दि पालता ज्ञान,ध्यान,शोध, परिणाम, वीरता और धीरता जो इस पथ चले वह मानवता पालता अध्यात्म के रहस्यों का जो पट खोलता विवेक और आत्मा के शील को है साधता यह धर्म पालो सृष्टि में सत्य को पालता इसकी गाथा अनंत है प्रमाण का पहाड़ है कुछ मिल सके अगर असहज में सहज वह सतनाम है असाधारण से साधारण इसका संदेश जीवन से मिटते लाखों क्लेश यह ध्वज मात्र नहीं इसके पीछे क्रांति और शांति दोनो का इतिहास है भाग्यवाद को भयभीत करता कर्म की कहानी पसीने की बूँद बूँद से लिखता यह कल्पना नहीं सत्य है सत्य,अहिंसा,क्षमा, दया,करूणा,प्रेम,परहित और प्रतिकार इसके गुण जहाँ अन्याय हो वहाँ यह न्याय है मानव को मानव से तोड़ता नहीं स्वाभिमान से जोड़ता है समानता और अधिकार यही तो उद्देश्य है पाखण्ड नहीं अखण्ड जहाँ पर स्थापित हो पालो तर्कों के तार खींचे जाते सफेद कपड़े को सफेद धागे में सीये जाते त्रिभुज नहीं चतुर्भुज है वर्गाकार नहीं आयताकार है ध्वज,झण्डा या पताका कई नाम व स्वरूप हैं इसके लेकिन हम... सतनाम के अनुयायी इसे पालो कहते हैं | असक

कुछ नया नहीं

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कुछ नया नहीं कुछ नया नहीं लिखता हूँ मैं जो दिखता है वही लिखता हूँ मैं कभी शोषण का "श" लिख लेता हूँ कभी प्रतिकार का "प" लिख लेता हूँ जो आग की तरह फैली है वह हर बात लिख लेता हूँ मैं सुनो... केवल क्रांति नहीं मिलन और विरह को लेकर कुछ प्रेम पर भी लिख लेता हूँ अरे यह भी तो है बढ़ती महंगाई गिरता रूपया मंडी में सड़ते धान फाँसी में लटकते किसान जो बोल नहीं पाते उन गूँगों की जुबान लिख लेता हूँ विकास विकास की राग सुनते पके हुए कानों का दर्द भी लिख लेता हूँ मैं मुझे कुछ लोग बोल रहे थे गाय की महिमा गोबर का महत्व आरक्षण वर्ग संघर्ष पूँजीवाद भष्ट्राचार बलात्कार और ए.वी.एम. पर भी लिखो मैने कहा बोल तो सहीं रहे हो पर मेरे लिखने से आप आंदोलन पर भी तो दिखो पर्यावरण असंतुलन छद्म देश भक्ति धर्म का पाखण्ड जर्जर अर्थ व्यवस्था व्यथित सेना इन पर भी कभी-कभी भाषण का "भ" लिख लेता हूँ पता नहीं लोग इसे जुमला समझ बैठते हैं शिक्षा व्यवस्था पे व्यंग्य स्वास्थ्य व्यवस्था पर तंज बेरोजगारी पर अफ़सोस और व्यवसाय

प्रेम ही है

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*प्रेम ही है* मेरा प्रेम आकर्षण से जन्म नहीं लिया जो यह दूरियाँ तुमसे मुझे विलग कर दे सच कहूँ तो इस प्रेम का अवतरण हुआ है और वह भी आत्मा की अनहद अनुभूति से सुनो..... यह उम्र का उत्पात भी नहीं है जो कुछ दिनों में तूफान बनकर शांत हो जाए मुझे अच्छे से स्मरण है संदर्भ देना चाहूँगा उस क्षण को जब तुमने मुझे कहा था चलोदूरी आने दें हमारे बीच में वक्त ही फैसला करेगा यह प्रेम है या.... आकर्षण मैने...ह्रदय से स्वागत भी किया इस प्रसंग में मेरा पक्ष बस इतना ही है मैं दूरियाँ झेल रहा हूँ पर आकर्षण का शिकार नहीं सुनों... आज भी तुमसे बात करके या चैटिंग करके वैसा ही एहसास होता है जो पहले तुमसे मिलने पर होता था हम आज भी अच्छे मित्र हैं इसकी खुशी है लेकिन.... कल और आज में एक बड़ा फर्क है कल हम दोनों एक नाव में बैठे थे और आज तुम रोजगार रूपी मोरनी पर सवार हो तुम आजाद हो कहीं भी उड़ सकती हो परंतु मैं.... बेरोजगारी रूपी चूहे पर बैठा भविष्य गढ़ने आशाओं के हथियार लिए संघर्ष का सुरंग खोद रहा हूँ देखो मुझको सफलता का सुख ढूँढ़ रहा हूँ