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Showing posts from November, 2018

उल्टे पैर लौटना होगा

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उल्टे पैर लौटना होगा जब से जुड़ा हूँ एक लगाव था अब कुछ दिनों में उनके आकर्षण से अभिभूत हूँ आकर्षित हूँ उनके नैन में जो गहराई है शायद समुद्र में न हो केशों की कालिमा मेघों को शर्मिंदा कर दे मुख की चंद्रमा सा दिव्य प्रकाश मेरे नेत्र में शीतलता फैलाता है परंतु ह्रदय में प्रेम की लौकिक आस रूपी अग्नि भड़क रहा है और मैं उसके मासूमियत सी लपटों में जलना चाह रहा हूँ होंठों की मुस्कान किसी बिजली की कड़कड़ाहट से कम नहीं जहाँ पर भी गिरती है उमंगों की नई कली उग अाती है नेत्र की गहराई से उठा ज्वार भाटा धरती पर पड़ने से पहले मुझे बहाकर ले जाती है उसकी वाणी की मधुरता रति के आह्वानों से कम नहीं है और यही  मुझे डूबने से बचाती है ऐसा अद्भुत यौवन की स्वामिनी भला इस खिचाव से मैं कैसे बचता लेकिन मुझे उल्टे पैर लौटना होगा जिस चन्द्रमा से मैं सम्मोहित हूँ शायद उसका चकोर कोई और है और मैं उसकी कल्पनाओं में शामिल भी नहीं आगे बढ़कर उसे अपना बनाने का कोई जिद नही है या द्वेष में आकर तेज़ाब डालने जैसा कुकृत्य मैं नहीं कर सकता उस चकोर को भी मैं हानि नही पहूँचा सकता मेरा प्रेम एकतर

बस्ता

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बस्ता घाठा परगे खाँध म धर लेथन बस्ता कभू-कभू हाथ म झोला के पट्टी संघार के बोह लेथन बस्ता लकड़ी के साँगा डार के बिदिया के बोझा आय सबो पढ़थैं जेला प्राथमिक शिक्षा कहाय पीठ म पाठ लदाथे भाग गढ़े खातिर कतको दूरिहा रेंगाथे फूलतिस हँसी फूल अस होंठ म बस्ता के लदना होतिस कम जब रहितिस ग्रंथालय सबो स्कूल म बस्ता बस ले बाहिर जेन बोहैं तेने जानैं बोहे बर कइसे होगैं माहिर | असकरन दास जोगी

खंजर

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खंजर . दोनों जब शिखर वार्ता पर मिले तब दोनों की जेब में खंजर थे और दोनों के हाथों में एक दूसरे के लिये उपहार गले मिलते समय दोनों ने एक दूसरे के खंजर टटोले और मुस्कराये गर्म जोशी से हाथ मिलाने के साथ दोनों ने अपने खंजर आपस में बदले और अपने देश लौट आये अभी दोनों देशों में प्रेस कांफ्रेंस चल रही हैं और खंजर बतौर सबूत पेश किये जा रहे हैं । राजहंस सेठ >>>> कट्यारी ते दोघं एकमेकांना शिखर परिषदेत भेटले. एकमेकांना. कडकडून गळामिठीच. तेव्हा दोघांनीही जाकिटांच्या खिश्यांत दडवल्या होत्या कट्यारी. आणि हातांत होते फुलांचे गुच्छ दोघांच्याही मिठीत त्यांनी एकमेकांचे खिसे नीट चाचपून पाहिले आणि या कानापासून त्या कानापर्यंत ओठ फाकवून हसले. हातमिळवणी झाली. दोन्ही पंजे घट्ट व मजबूत.मग एकमेकांच्या कट्यारींची झालेली अदलाबदल सगळ्या आलम दुनियेनं डोळे भरून पाहिली. मग आपापल्या देशांत ते उडून गेले. आता दोन्ही देशांतील रयत ही अदलाबदलीची चित्रफीत वारंवार डोळे फाटेस्तोवर पाहत बसली आहे. ----राजहंस सेठ  - मराठी अनुवाद --दिलीप लिमये कटारी दूनों झन जब शिखर बइठका म मिलिन तब दूनो

वे

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वे वे खुश हैं उन्हें टेंडर जो मिला है इस दिवाली उनके कम्पनी उनके परिजनों का चमकता-दमका चेहरा होगा हम और हमारा राष्ट्र बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं आसमान को छुता हुआ 182मी. विश्व में सबसे ऊँची मुर्ति सरदार जी खड़े हैं क्या यह...भारत का पुरूषार्थ है ? हम देशभक्त हैं ! हमें मेड इन इंडिया नही मेक इन इंडिया चाहिए हम स्थापित करवाकर हर्षित हैं और वे... अपने कौंशल का डंका बजाकर सुनो...नाम तो दोनो का होगा वे बोल रहे थे आह ! लगेगी और आरोप भी लगा रहे थे छोड़ो ये तो ऐसे ही होते हैं गरीब जो हैं..कुछ भी बोल देते हैं इन्हें विकास दिखता नहीं दिखता है तो सिर्फ... अपना ज़मीन और अपना मुआवज़ा वे सिध्दांतो से खरे थे 562 रियासतों को जोड़े थे तब इंडिया और लौहपुरूष बना था आज घर उजड़े हैं ज़मीनें अधिग्रहण किए गए दुष्ट और मित्रों को लाभ देकर उनके सिध्दांतों को रौंदकर स्टेच्यू ऑफ यूनिटी खड़ा है | असकरन दास जोगी #फोटो शोसल मिडिया से प्राप्त