लोख्खन के बेटा

# लोख्खन के बेटा #

घर के अंगना म मचोली बिछाय हे , मचोली म बड़ सुग्घर टूरा लईका मार फुदर-फुदर किलकारी पारत खेलत हे ! घर म सब बहुंत आनंद हावय , बड़ बझर म टूरा लईका के सुख भोगे ल मिलत हे ! लईका के ददा सुजान दास लईका ल पा लिस अउ काहत हे मोर राजा बेटा, मोर हीरा बेटा , मोर बेटा ल पुलिस बनाहूं ! ओती बर ले लकर-लकर लईका के डोकरी दाई आईस अउ सुजान दास ल कईथे ला लईका ल सेंकन दे बड़ा पुलिस बनईया आय हस, हमर नाती ल हम वकिल बनाबो कोरट म भाषण देही अउ गरीब दूबर ल बचाही ! डोकरी दाई मोंगरा बाई ह अब लईका ल सेंके ल धर लिस, सेंकत खानी लईका " एहों एहों एहों एहों " कईके रोय ल धर लिस ! ओकर रोवई ल देख मोंगरा बाई ह लोरी गीद गाय ल धर लिस " नई रोबे मोर हीरा...नई रोबे रे ! नई रोबे मोर दुलरवा...नई रोबे रे " अतका ल सुन के लईका चुप हो जाथे ! मोंगरा बाई सेंक चुपर के लईका ल मचोली म फेर ढ़रकाय ल करथे तईसने गली डाहर ले, लईका के बबा उबारन दास आ जाथे ! अब उबारन दास लईका ल पा लेथे , चुमा-चटका लेथे अब ओ कईथे मोर नाती ल गीद-गोबिंद गाय ल सिखाहूं , मोर नाती ददरिया गाही सबके मन ल भाही ! ओती बर कोन्टा म बटकी, लोटा, हंड़िया मांजत गोंदा बाई ह सब ल देखत हे ! अउ बड़ खुश होवत हे , मन म गुनत हे " हाय रे मोर लोख्खन के बेटा " बेटा बिना इही सुख ल पाय बर तरसत रहेवं ! घर म सब खुश हावँय बेटा नई होय रहिस त रात दिन कलल-कलल करँय चल बन तो गे बनऊका ह अईसन गुनत संतोष बांधत हे ! "  गोंदा बाई के बेटी ह एक तीर म अपन पुतरी ल धरे खेलत हे ओकर ऊपर ककरो धियान नईहे सब के धियान बेटा ऊपर हे ! फेर गोंदा ह बड़ मया करथे अपन बेटी ल अउ डबडबाय आँखी म अपन बेटी कोती ल बड़ मया करके देखत हे !


ओती बर अंगना के सिंग दरवाजा ल खटटावत हें अउ आरो लगावत हें काहत हावँय कोनो हव का घर म ? सुजान दास जोर-जोर के आरो अउ कपाट ल खटखटई ल देख के कईथे , कोन आव ते आवत तो हँव फईरका ल टोर दहव का ? जीव सईता नईहे ? आवत हँव रूकव !

सुजान दास फईरका ल खोलथे , अाघू म दू फूल वाले दरोगा एक झन टूरापिला अउ एक झन माईलोगिन हवलदार, ऊंकर संग म एक झन टूरापिला अउ माईलोगिन घला हवय ! दू फूल वाले दरोगा कईथे , कईसे ये घर ह सुजान दास अऊ गोंदा बाई के आय धून नही ? सुजान दास कईथे आय साहब , आवव न भीतर कोती नाहकव, सब झन भीतर अंगना डाहर नहाकथैं ! 

उबारन दास लईका ल खटिया म सोवाके आथे , पूछथे का होगे साहब हमर घर कईसे आयेव ? दरोगा बताय ल करथे तईसने दरोगा संग आय माईलोगिन के आँखी कोन्टा कोती बईठे गोंदा बाई ऊपर पर जाथे अउ ओ माईलोगिन जोर जोर के जिल्लाथे देख साहब, देख साहब ओदे-ओदे दोही हर आय , ओहीच हर मोर लईका ल चोराके लाने हे ! अतका म गोंदा बाई दऊंड़ के आके लईका ल पा लेथे ! गोंदा बाई ल लईका ल पावत देख ओ माईलोगिन लईका ल लूटे बर दऊंड़थे , गोंदा बाई अउ ओ माईलोगिन के बीच लईका बर लूटा-पुतकी होथे ! ओती दरोगा ह माईलोगिन हवलदार ल कईथे इमन ल रोक जा ! उबारन दास अउ सुजान दास अतका ल देख के अकबका जाथें , कईथे ये सब का होवत हे कोनो कुछु तो बतावव ? सुजान दास अउ उबारन दास दरोगा लंग पूछथे बता न साहब का होगे अउ ये माईलोगिन हमर लईका ल अपन कईसे बतावत हे ! माईलोगिन हवलदार ऊंकर लूटा-पुतकी ल रोकथे , गोंदा बाई लईका ल जिजोमरे ल रपोटे खड़े हे ! लईका लूटे बर करत हे तेन माईलोगिन रोवत अऊ गोंदा बाई ल रंग-रंग के गारी देत बखानत हे ( तोर कुंख बेला ला का होगे रहिस ? दोकही मोर बेटा ल चोरा के लाने हस , बढ़ लुड़हारत आय रहे, पहिली जानतेवं लईका ल चोराबे कईके त तोर नारी ल मुरकेट देतेवं , भाईखाई काबर अईसना करे बता न ?) अतका सब गारी ल सुनत मार सकपकाय गोंदा बाई मुड़ी ल नवाय खड़े हे , काहत हे मोर लईका आय तोला का हे ! ओ माईलोगिन संग आय छोकरापिला ह उबारन दास अउ सुजान दास ल कईथे देखव ग ये लईका ह हमर आय ! ये माईलोगिन ह हमर लईका ल हॉस्पीटल ल चोराके लाने हे ! उबारन दास अउ सुजानदास के ताव चढ़ जाथे अउ कईथें अईसन नई हो सकय गोंदा ह ककरो लईका ल काबर चोराके लाही ? ओ तो पहिली ले " पियंर देंह रहिस " दूसर के लईका ल काबर चोराही ! दरोगा कईथे देखव ग सत बात इही आय के ये गोंदा बाई ह हॉस्पीटल ल लईका ल चोराके लाने हे ! 

लईका ल लहुटावव अउ येला जेल जाय ल परही अब ! 

सुजान दास गोंदा बाई तीर आके कईथे कस ओ साहब मन काहत हे तेन सच बात आय के लबारी ? गोंदा बाई हुंकय न भुंकय चुपचाप रईथे ! दरोगा अब तमतमावत कईथे कस बाई चोरी करे हस कबूल ले जेल तो तोला जायेच ल परही तैं नही तोर मुड़ के देंवता कबूलही चल बता सच-सच अतका म माईलोगिन हवलदार ह लईका ल लूटथे अउ अपन संग म आय माईलोगिन ल धरा देथे लईका के ओही ह असली महतारी रईथे ! देखते देखत गोंदा बाई ह बोम फाड़ के रो डारथे , गोंदा बाई के सास मोंगरा बाई कईथे बता न रे दोकही सच बात का आय ? उबारन दास ओकर ससुर कईथे तोला इही दिन देखाही कईके लाने रहेन सच म दोकही हस बता सच का आय ?

दोखही-दोखही सुन के गोंदा के बरम करलागे कस के तमतमाके कईथे अपन गोसईया सुजान दास ल कईथे दोकही मैं नई हँव तैं हवस दोकहा , अपन सास ल कईथे दोकही मैं नई हँव दोकही तैं हवस, अपन ससुर ल घलो कईथे दोकहा तहूं हवस बाबू ..दोकहा-दोकही तो तुमन खुद हव अउ मोला दोकही कईथौ ! 

गोंदा बाई दरोगा डाहर जाथे अउ कईथे साहब मोला जेल म भरबे त इहू मन ल जेल म भरे ल परही तोला , काबर के मैं तो चोरी करे हँव फेर चोरी करे बर मोला इमन उकसाईन हें ! ओकर सास,ससुर, गोसईया तीनो कईथैं हम तोला कब उकसाय हन ? गोंदा बाई कईथे हव तुही मन उकसाय हव ! मोर दू झन नोनी लईका ल नुकसान( गर्भ पात)  करवाय हव , मोला घर ल निकाल दे रहेव टूरीच- टूरी होवत हे कईके सुरता करव ! गोंदा के अतका कहत म ओकर सास, ससुर अउ गोसईया के मुह बंद हो जाथे , फेर गोंदा कईथे सुरता करव तुमन ल मोर कोख म आय बेटी नई भाईस दू बार ल गिरवाय हव, तुमन ल बेटी नही " लोख्खन के बेटा " चाही रहीस अब धरव बेटा ल ! 

सुजान दास कईथे हं हमन तोर दोसी हवन गोंदा फेर तैं तो " पेट " ( गर्भ ) म रहे ओ कहां गय ! गोंदा बाई कईथे तुमन ल बेटा चाही रहिस न त मोला घर ल तो निकाल दे रहेव मोर बेटी संग , त मैं कतका दुख झेलत बेलासपुर म रहेवं ! एक दिन घलो हिरक के देखे बर नई गये न सास -ससुर तको , महिनत करँव त खातेवं " पिंयर देंह " करिया होगे भरे कोख लहू बनके बोहागे अईसन निसठुर बिधाता घलो जेन एक छिन के खुशी नई दे सकीच ! का बेटेच मन ह जिनगी म खुशी देथे ? बेटी के कोनो जरूरत नईहे का ? अईसन कईके रोय लागथे ! 

अंगना पुरा सिन्न हो जाथे , गोंदा कईथे दरोगा ल बता साहब जेन माईलोगिन के बेटा नई होत हे कईके घर ल ओकर गोसईया अऊ सास-ससुर निकाल देही , दूदी बार ल पेट के लईका ल जांच करवा के गिरवा देहीं  त ओईसन माईलोगिन चोरी नई करही त का करही ?  सुजान दास अउ गोंदा के सास-ससुर मुड़ी ल गड़ियाय चुप-चाप खड़े हें ! दरोगा कईथे कईसे रे सारे बेटा के अतका मया होगे तुमन ल आँखी म टोपा बांध डरेव के घर के सब सुख ल बरबाद कर डरेव अब तो गोंदा के संग म तुहू मन ल जेल जाये ल परही ! कोख के लईका ल गिरवाय हव, गोंदा ल घर ल निकाले हव सबके धारा लगही सारे हो जिनगी भर नई छुटव ! 

दरोगा कईथे फेर गोंदा बाई ये लईका ल तैं हॉस्पीटल ल चोराके कईसे लाने ऐहू ल बता ? गोंदा कईथे साहब बेटा बिना सब सुख ह हजागे रहिस ! बेलासपुर म जेन हॉस्पीटल म येहर भरती होय रहिस जेजकी बर उही हॉस्पीटल म मैं हफ्ता भर ले जा जा के पूरा हॉस्पीटल के छिहिन-छिहिन छान मार के सब बात ल जानेवं कोन मेरा का होथे ! दू चार झन जेजकी वाले मन के सेवा करेवं हॉस्पीटल म लगे काय सीसी केमरा कईथें तेहू ल खराब कर देवं जेजकी खोली के ! एक दिन ठऊके बेरा आईस त ये लईका के दाई ल कहेवं ला तोर लईका ल डॉक्टर ल देखा के लानत हँव ! ते येमन मोला दे दिन हे तहां मैं लईका ल धर के चुप-चाप तोप-ढ़ांक के हॉस्पीटल ले भाग गयेवं ! 

ओ लईका के असली दाई ह कईथे भले दुख पाये बहिनी फेर तोला अईसन नई करना रहिस ! तैं तो दुख पात रहे फेर दूसर महतारी के करेजा ल चोराय के तोला कोनो हक नई रहिस ! गोंदा कईथे का करँव बहिनी मोर परवार ह बेटा के लोभ म अंधरा होके मोला घर ल निकाल दिन मोर बेटी सहिंत अउ पेट म रहेवं तेनो खराप होगे त घर म बहूरे के इही उपाय सुझीस तोला दुख होय होही बहिनी त छिमा करबे मोला अतका कईके गोंदा ह दरोगा ल कईथे ले साहब कहां लेगबे तेन चल अब ! दरोगा ह गोंदा ल अउ ओकर गोसईया सुजान दास अउ ओकर सास-ससुर तीनो-चारो झन ल पकड़ के गाड़ी म बिठार देथे ! चोराय लईका ह अपन असली दाई ददा के हांथ ल गय अब ओ मन खुश रईथैं फेर ओ लईका अऊ अपन बेटी ल देख देख गोंदा बाई के अंतस ह रोवत रईथे आँखी डाहर ले अरपा-पईरी बोहावत रईथे ! अतका म गोंदा के बेटी जेन आठ बछर के रईथे तेन रोय ल धर लेथे ! गोंदा दरोगा ल कईथे हमन सब ल तो लेगत हस साहब फेर मोर नानचक लईका के का होही ? ये हर कहां जाही येहू ल हमर संग भर के लेग ! दरोगा मना करथे येला कहां ले जाहूं नई ले जा सकन ! लईका के रोवई ल देख दरोगा के मन म दया आ जाथे अऊ कईथे ले गोंदा तुमन के केस के चलत ल लईका मोरे लंग रईही आघू कहूं तहूं ल जेल हो जाही त ये तोर बेटी ल मैं पढ़ाहवं लिखाहवं ! गोंदा ह दरोगा ल धन्यवाद देथे अउ ओकर सास-ससुर अउ गोंदा के गोसईया मुंह ल लटकाय रोवत रईथैं ! ड्राईबर हवलदार गाड़ी ल चालू करथे अउ सब ल गाड़ी म बुक करके ले जाथें !


अब सोंचे के बात हे ये कहानी ले सिख ले के जरूरत हे हमला बेटा-बेटी म भेद नई करना हे बेटा बेटी सब बरोबर होथे , आज बेटी मन सबे क्षेत्र म अपन नाव जगावत हें संगे संग ददा दाई मन के मान बढ़ावत हें ! बेटा पाय के लोभ म गोंदा बाई के परवार बरबाद होगे अईसन " लोख्खन के बेटा " बर अपन जिनगी ल खुवार झन होवन दव संग्गी हो ! बेटी बेटा म नईहे भेद , जेन करिच भेद ओकर भाग म होथे छेद !

जय छत्तीसगढ़

लेखक : असकरन दास जोगी
ग्राम : डोंड़की ( बिल्हा )

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