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Showing posts from October, 2018

राजहंस

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राजहंस अप्रतिम अद्वितीय हो मानसरोवर के वासी हो मैने कभी देखा नहीं सुना है मोती चुगते हो ? आत्मा के प्रतीक हो जोड़ो में जब रहते दाम्पत्य का पर्याय हो ऐसा बहुतों ने पढ़ा है क्या सच में होते हो ? नीर-क्षीर अलग करते हो नीर त्याग क्षीर पीते हो किंवदन्ती थोड़ी है सच में इतना धीमान हो ? यूरोपी कवि कहते गायक हो सुरों से अधिनायक हो मैने कभी सुना नहीं बोलो भला सच में गाते हो ? राजा की झील में रहते हो गरीबों से कहानी में मिलते हो मैं चाहकर भी नहीं मिल पाता आप तो राजहंस हो ! असकरन दास जोगी

चित्रकार का चमत्कार

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चित्रकार का चमत्कार दवाई और रोटी इसके मेहनताने से मिलेगा घर में छोटे बच्चे राह देख रहे हैं कोई चौंकना नहीं कुछ नया नहीं है इस परिस्थिति में लाखों लोग हैं कल्पना से सत्य गढ़ने बिल्डिंगों के जंगल में स्प्रे और रंग लेकर आया है पैर में चोंट पर ऊँची है सोंच लोहे की घोड़ी में चढ़कर हरियाली जगा रहा है हर्षित है यह दीवार घास और पेंड़ अपने अंग में पाकर धरातल में कटते वन देखो चित्रकार का चमत्कार दीवार में जंगल ऊगा रहा है | असकरन दास जोगी मो. 9340031332 www.antaskegoth.blogspot.com

चँदा दिखथे रोटी कस

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चँदा दिखथे रोटी कस अक्ति के बोनी बितगे हरेली के बियासी लाँघन-भूखन पोटा जरत कोन मेर मिलही भात तियासी देवारी बर लुवई-टोरई मिस के धरलीन धान खरवन बर रेहरत रहिगेन गौटिया मन देखाइन अपन शान जन-जन खाइन मालपुआ फरा ठेठरी नइ खुलिस हमर बर ककरो गठरी गाँव म घर नहीं न खार म खेत चँदा दिखथे रोटी कस कर लेतेव कोनो चेत | असकरन दास जोगी 9340031332 www.antaskegoth.blogspot.com

नंगाके रहिबो हक

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नंगाके रहिबो हक तुँहर राजनीति तुँहरे म घुसेड़ देबो समोसा खाके अब दरी नइ उठावन तुमन बाहिर ले आके हमर हितवा हमर नेता बनथव हमर अधिकार हमर सम्मान सब ल लुटथव जात धरम के नाँव म हमला जुझवाके पाछू घुमाथव अपन झण्डा बैनर धरवाके चेत जावव अब जागथन छत्तीसगढ़ स्वराज के गीत गावथन छत्तीसगढ़ नोहै कोनो लल्लन टाप के छत्तीसगढ़ आय छत्तीसगढ़िया के बाप के भागव भगाबो मार खाहव जान लव नंगाके रहिबो हक एहू ल मान लव असकरन दास जोगी 9340031332

तनहाई

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तनहाई कोई अब साथ नहीं किससे राज़ बेपर्दा करूँ हसरतें हजार है पर वसन्त की बहार भी तो नहीं मेरी वेदनाओं को मेरे शब्दों को समझने कोई तैयार कहाँ आँखें सूखी हैं ह्रदय रो रहा है यहाँ चारो तरफ शांति पसरा है खुरखुराहट आसानी से कानों तक पहुँचती है कम ही लोग यहाँ आते हैं मैं मरघट में उन यादों की  जमघट लगाया हूँ  जो मेरे पास है  वह आश  और मेरी तनहाई है ! असकरन दास जोगी

यहाँ राजतंत्र है

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यहाँ राजतंत्र है त्राहि त्राहि चहुँ ओर है बंदर बना शासक करता करतब घनघोर है दमन पे दमन अंतर्मन से निकलती आह ! सेना किसान नारी अस्मिता बनती जा रहे हैं दाह सत्ता का नियंत्रण निशाचरों के हाथ में वो तन से गोरे और मन से काले रहते हैं धनवानों के साथ में तानाशाही करते खूब लगते हिटलर के अंशज जनता अभी हारी नहीं ये भी हैं मानवता के वंशज तोफचंद चाल चले दिखावे को गले मिले भ्रष्टाचारी ये शोषण इनका मूलमंत्र है लोकतंत्र गया तेल लेने यहाँ राजतंत्र है | असकरन दास जोगी 9340031332 www.antaskegoth.blogspot.com