*नाचा*
-: नाचा :-
छत्तीसगढ़ भुईंया अपन संस्कृति, परमपरा म ककरो ले कमती नईहे ! छत्तीसगढ़ अपन जांगर के भरोसा म सबे गुन बर अलमल हे ! छत्तीसगढ़ अपन पुत मन के परभुता म कतको कारज करके परमान छोड़ दिस, आज जेन हर इहां के चिनहारी बनके नैना म झुलत हे ! नैना म झुलत चिन्हा तो कतको हे फेर वोमा के परमुख चिनहारी नाचा हर आय ! नाचा ह इहां के रोम-रोम म बसे हे , झरना ल पानी गिरथे त नाचा, पुरवा के चले ल रूख-राई हालथे डोलथे ते ह नाचा, खेत म धान के लहलहाई हर नाचा, सावंरी मुटियारी मरकी बोहे-बोहे मटक-मटक रेंगथे तेहू ह नाचा, नानचक लईका ठुमुक-ठुमुक ,लुड़भुड़-लईया रेंगथे ते ह नाचा, चिरई-चुर्गुन के फुदकई म नाचा , बड़ोरा के घमाई म नाचा, सुर म धान बोह के जावत किसान के रेंगई म नाचा ! नाचा हर धान कटोरा दाई के नस नस म रकत बनके बोहाथे ! नाचा ह छत्तीसगढ़ के हंसा आय नाचा कहूं नई होतिस त छत्तीसगढ़ बिन हंसा के ठाठ बरोबर होतिस !
हाव-भाव,नाच-गान,सेवांगा के संग म बाजा बजाई किसा कहाई ये सबो ल समोख के नाचा कहे जाथे ! नाचा सबद के परयोग परमुख रूप ले बुड़ती छत्तीसगढ़ कोती करथैं अऊ रकसेल-उत्ती डाहर गम्मत कईथैं ! नाचा म भाग लेवईया सबले जादा छोकरापिला होथे , नाचा म छोकरेच पिला ह माईलोगिन के सेवांगा करके नाचथे तेला " पड़ी " कईथैं अऊ जेन छोकरा पिला ह छोकरेच रूप म नाचथे तेला " जोक्कड़, नचकाहर " कईथें ! नाचा म माईलोगिन नचईया ल नचकाहरीन कईथैं !
नाचा , गम्मत ह हमर छत्तीसगढ़ के उबजन-बाढ़न आय ! जेला कईझन परदेसिया मन ह नाचा ले बाहिर "देस-राज" ल आय कला बताथें अऊ इहां के मन ल सिखाके संसकारित करिन कईके अपने-अपन मनेमन म खुस होथैं ! अऊ अोतको म इहां के परबुधिया मन ह उंखर हां म हां मिलाथैं ! का इंहला गम नईहे रायगढ़ के सीता बेंगरा पराचिन नाट्य साला हर जिहां भब्य रंगकरम करे जाथे ! सिरपुर,तुम्मान, मलहार,बारसूर, पचराही, भोरमदेव अईसन हमर धरोहर जेन हर मन के कपाट ल खोलत हिरदे के कुरिया म हमा जाथे अऊ नाचा करेबर हमुं हं उमड़ जाथन ! छत्तीसगढ़ के नाचा के मान-गऊन भले कतको बाद म होईस तभो ले छत्तीसगढ़ के गीत-गोबिंद ले जम्में जगत ह मोका-थोकागे हे ! पंथी,पंडवानी,भरथरी, चंदईनी,सुआ,करमा,रऊत नाचा, ददरिया, रीलो, या फेर नाचा-पेखन ! हमर अईसन धरोहर ल दूसर राज ल आय कला ये कईथैं तेन मन भरम के कांटा, ये भुईयां म खोंच के हमर पांव म खुंदवावत हें अईसन कहईया अऊ पन्दोली देवईया मन के हम तो निंदा करथन !
नाचा हमर धान कटोरा भुईंयां म पहिली ले हावय! पराचिन समय म सामंतवादी, जमीदारी ब्यबस्था के कारन सिधा-साधा किसान अऊ मजदूर उपर अंगरेज के संगे-संग गौटिया,पटेल,मालगुजार, पटवारी अऊ अपन आप ल बड़े जात कहईया मन अनियाय करैं ! अग्यानता, भूंखमरी, लचारी, गरीबी दुखाय मनखे बोक बाय कठवा के पुतरी बने सब दुख ल सहे बर मजबूर राहैं ! कोनो ल काहीं नई सुझत रहिस, तब अईसन बेरा म नचकाहर, जोक्कड़, गम्मतिहा,पड़ी,नचकाहरीन मन बियंग कर-करके अतियाचर करईया मनके बिरोध करिन ! गंगा असन समाज म बोहावत छुआछूत, जात-पात, अंधबिस्वास, माईलोगिन उपर सोसन करई , गुलाम देस म गुलामी के अऊ अईसन बाढ़त गंदगी ल साफ करे बर नाचा जईसन जोखा ल कर कर के ये सब ल तियागे के रसता दिखाईन ! छत्तीसगढ़ म सन् १९४० ले १९९० तक आधा सदी म नाचा के राज चलत रहिस ! ये बेरा ल नाचा के "सोनहा-बखत" कहे जा सकथे ! जेमा जम्मे छत्तीसगढ़ म गम्मतिहा मन के छोटे बड़े गंज अकन संगठन, समिति,पार्टी चलय ! १९३८ के बेरा म तो गुरू घासीदास जयंती मनाई के सुरूआत ले नाचा बर उपजाऊ माटी तईयार होईस अऊ नाचा हरहिंछा सोसन भर बाड़हिस ! अकसर नाचा जयंती,तिहार, मेला, मड़ई, छठ्ठी-छेवारी, बर-बिहाव, नवा घर म परवेस करे के बर राहय त , धान पान लु टोर डारैं त, अईसन बेरा म नाचा-गम्मत, पंडवानी, भरथरी, सुआनाचा,करमानाचा, पंथी नाचा,राऊतनाचा, रहस, ( डिड़वा नाचा परमुख रूप ले बिहाव के बेरा माईलोगिन मन टुरापिला बनके नाचथैं ये नाचा म छोकरापिला के रहाई ह मनाही हे ) अईसन-अईसन सब नाचा के जमईका ल मढ़ावैं ! नाचा देखे बर दूरिहा-दूरिहा के सगा-सईनी मन एक दू दिन पहिली ले आके राहयं , नाचा खतम हो लेतिस तभे अपन घर जावैं ! नाचा केवल मनोरंजन करे के साधन नोहय , नाचा छत्तीसगढ़ के जीवनसैली म रचे-बसे हे ! अईसन हमर किरति ल बढ़ईया मंच मन के नाव देवार डेरा, चंदईनी गोंदा, नवा बिहान, सोनहा बिहान, कारी, दूध मोंगरा, मया के फुल, अंजोरी रात सुकवा के अंजोर, नवा किरन, मनमोहनी गंज अकन रहिस !
नाचा अपन आप म पूरन हे , उछाह, ठठ्ठा,गियान,बिरता, परेम,दुलार, भक्ति कतको रंग ले ये ह सराबोर हे ! नाचा जिहां कतको परमपरा ल बोह के रेंगथे त ओकर म अतको दम हे के कतको मनमाने परमपरा ल रहेटा काड़ी बरोबर चर्रट ले टोर देथे ! दुख के बखत म हांसे हंसाय के हिरदे भेदी कला आय नाचा ह , हमर गम्मतिहा मन गरिबी, हिनता , अशिक्षा कतको जहर के घुंट ल पिके नाचा ल आज अईसन सरूप दे पाय हें ! तभो ले आज हमर गम्मतिहा, कलाकार, गायिका,गायक मनके उपेकछा होवत हे , बाहर राज के हिरो हिरवईन ल सरकार ह लाखो-करोड़ो रूपिया देके राज उत्सव छत्तीसगढ़ इसथापना दिवस के मंच म बलाथे अऊ हमर छत्तीसगढ़िया कलाकार मन एकक दूदी पईसा कमाय बर तरसत हें ! सरकार के जिम्मेदारी बनथे के छत्तिगढ़िया कलाकार मन के उपर घलो थियान देवैं !
आज नाचा गम्मत बैपार के रूप धर ले हे पहिली मनोरंजन , जन जागरिती, समाज सेवा, धरम परचार अईसन कारज के अंग रहिस ! नाचा म बिते समय , चलत हे तेन समे अऊ अवईया समय के सुख दूख ल बने गुन के सबके आगु म देखावैं ! एक बखत अईसन घलो रहिस जब बिजली नई रहिस , मसाल,चिमनी,टायर के अंजोर म , बगरंड़ा के अंजोर म , कंडील के अंजोर म अईसन अंजोर म नाचा गम्मत के कार्यकरम हर होवय ! अब तो चारो मुड़ा झकाझक बिजली बरत हे ! पहिली माईक नई होवत रहिस नवा नवा समें म एक्का दुक्का आय रहिस , बजाय के समान चिकारा,मंजीरा,तबला जेला कनिहा म बांध के खड़े खड़े बजावैं अऊ ओला खड़े साज के नाव ले जानयं ! फेर जब नवा बेरा नवा जुग आईस त हारमोनियम, बंसरी,तबला, ढोलक,बेंज्जो,झुमका,घुंघरू बनेच कन नवा समान आय ले नाचा के सबे भाग ह सबल होईस हे ! अऊ अईसन नवा नवा यंत्र मन के सहारा लेके हमन ल हमर छत्तीगढ़ के सबो कला ल आगु ले जाना हे , हमला येहू जरूरत हे की अपन महत्व ल सरकार ल देखाना हे तभे हम अपन होवत उपेक्छा ल उबरे सकबो !
जय छत्तीसगढ़
जय छत्तीसगढ़िया
लेखक : असकरन दास जोगी
ग्राम : डोंड़की ( बिल्हा )
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