दारू वाले बाबा

*दारू वाले बाबा*

जय हो जय हो
न कैलाश
न काबा
जय होवै तोर
दारू वाले बाबा
सादा लाली
के रंग छाये
गोलवा चेपटी
सबो लहाये
छत्तीसगढ़िया मन तो
झूमरत हें
परदेशिया मन
चूहकत हें
जगा जगा
अहाता खुलगे
अतका पइसा बाप रे
सरकार के पाकिट फूलगे
सब काम होवत ठेंकेदारी
दारू तो होगे सरकारी
भठ्ठी के भींड़
सरकार के शान बढ़ावत
छत्तीसगढ़िया जनता के
छै नहावत
दारू मा नम्बर 1
आज होगेन
मंदहा बेवड़ा बनके
सुग्घर चाल खोगेन
डौकी के लच्छा
पुरखा के डोली
लइका के सपना
अरे लूटागे मीठ बोली
अतका मया दारू बर
परदेशिया मन के
भरगे झोली
दारू घर मा
दुर्मित मचाये
जब चढ़थे
मुड़ मा
तब काल बन जाये
डौकी लइका
पीट चलाथैं
आरा पारा
गजब बोमियाथैं
कुकुर जइसन हाल होगे
नरख कस जीनगी भोगे
दारू के नशा कमाल
डबरा खोचका
नाली म होगे धमाल
हपट के
माथा मुड़ी फुटगे
करिया गोरिया
थोथना होगे लाल
होगेन हम
अब कंगाल
परदेशिया मनके
खुलगे ढ़ाबा
जय हो जय हो
जय होवै तोर
दारू वाले बाबा....!

रचनाकार:असकरन दास जोगी
मो. नं.:9340031332

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