हम दोनों-11
*#हम_दोनों-11*
एक साथ थे
हम दोनों
इनकार था,है
आज भी
उसके जुबाँ पर
मैं देख रहा था
मैं पढ़ रहा था
उसकी आँखों को
मुझसे छुपा रही थी वो
पलकों में प्रेम को
मेरे पीठ पर
उसके स्पर्श का एहसास
है और रहेगा
कोई प्यार से
छुकर नहीं गई
अरे भाई...
मुक्के मारकर गई है
कम बोलती है
लेकिन...
मेरे साथ
ज्यादा बोलती है
उम्मीद मत रखना
के वो मीठा बोलेगी
करेला खाती है
जरा कड़वी है
सपनों के घर में
नया सपना देने आई थी
सच था या सपना
लो खुल गई आँख
मिले थे...
कल्पना में
हम दोनों
*#असकरन_दास_जोगी*
Comments
Post a Comment