वाँछा

*#वाँछा*

प्रेम के पीपल से
कहीं
भावनाओं का ऑक्सीजन
न निकले
तब..
कटुता का
कार्बन डाई ऑक्साइड
बढ़ेगा ही

यह बात अलग है
और लोग अनजान भी हैं
कि पीपल
जीवन पर्यंत
ऑक्सीजन ही छोड़ता है
जो हमारे जीवन के लिये
प्राण वायु है
तब...
यह अत्यंत आवश्यक
एवं महत्वपूर्ण है

हम जब भी इसे
काटने की सोचते हैं
या काटते हैं
या समय की आपदा में
इसे क्षति पहुँचता है
तब...
सम्बंध रूपी श्वासों में
तकलीफ महसूस होती है

अगर सम्बन्धों में
भावनाओं का मिश्रण न हो
और नम्रता का नीर
न मिले
तब...
प्रेम पीपल
कैसे जीवित रह सकता है ?

वृक्ष है
प्रकृति के हर थपेड़े को
मुस्कुराकर सहना होगा
तब...
आस का आषाढ़
सुख का सावन
मन रूपी वन में
वाँछा का वसन्त लायेगी |

*#असकरन_दास_जोगी*

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