अरे बैरी

*#अरे_बैरी!*

इसरा करे रहिस
मैं पल्हरा अँव
मोला बादर झन समझबे
मति मोरे हजाये रहिस
सागर ले आगर समझगेवँ

कहूँ तोर कपट ल जान पातेवँ
आँखी,सुरता,सपना,अंतस
तहीं बता....?
तोला मन मंदिर म कइसे बइठातेवँ

दहकत हँव भीतर ले
मोर आँखी म आगी नइ दिखय का
तैं सावन के पानी अँव कहिथस
मोर जीव ल जुड़ो पाबे का ?

उफान मार नदिया म जाके
चाहे छलक जा तरिया म बोहाके
मोर करेजा ल कइसे कल परही ?
दहकत रहिहँव तोर ले दूरिहाके

दग़ाबाज़ कहँव के निर्मोही
जोही नइ कहँव,कहँव का तोला निर्दयी ?
आस के फाँस म बाँध के
छल डारे मोला...अरे बैरी !

*#असकरन_दास_जोगी*

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