छल
*#छल*
मेरे व्यक्तित्व से
किसी का सिंहासन नहीं हिल रहा
लेकिन वो अप्सरा जैसी है
जैसे इंद्र ने भेजा हो
मैं कहीं का सम्राट नहीं
किसी की सत्ता पर
आक्रमण नहीं कर रहा
किन्तु उनका आना
विषकन्या की तरह है
मीठी,खट्टी और कड़वी भी है
इंद्रधनुष से ज्यादा हैं
उसके रंग
सुनो साहब....
इस माया में छल है छल |
*#असकरन दास जोगी*
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