जो था वह भ्रम टूटा है
*जो था वह भ्रम टूटा है*
ख़्वाबों से मेरा
साथ छूटा है
जो था
वह भ्रम टूटा है
पता नही
कब कहाँ और कैसे
मेरे पर निकल आये थे
और मैं
आसमान में
उड़ने लगा था
लोग देखते थे
मेरे चेहरे की चमक
होटो पे मुस्कान
आँखों की गहराई
पता नही कहाँ से आई
सब चकित थे
पर आज मुझसे
मेरा वो जज़्बात
रूठा है
जो था
वह भ्रम टूटा है
कुछ हो गया था
मेरा मन
खो गया था
दौंड़ रहा था
एक तारे के पीछे
अनंत प्रकाश
कुछ दिव्यता
मादकता,अद्भूत
कुछ शीतलता
मानो पागल हो गया था मैं
उस अलौकिकता के
दर्शन मात्र से
आज हक़ीक़त को
आधार मिला
सच कहूँ
मेरा तक़दीर
फूटा है
जो था
वह भ्रम टूटा है....!
*#असकरन_दास_जोगी*
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