मैने देखा है

*#मैने_देखा_है*

बेज़ा कब्ज़ा
कर लिया उसने
मेरे दिल में
बिल्कुल...गाँव के
गोचर की तरह

अंतरात्मा जो सरपंच है
कोई रोक नही लगाया
दिल के गोचर के साथ
मन के मैदान
जिसमें खेलते थे हम
उससे भी...
हाथ धोना पड़ा हमें

ज़रा सुनो...आज कल
आदर्श ग्राम बनाकर बैठी है
खुद के अंदर
कोई देखा है क्या
उसकी आँख में
निर्मला घाट...
निर्मल जल लिये दिखती है
उसकी आँख में आँख मिलाते ही
लोग पावन हो जाते हैं

कांक्रीट की सड़क जैसी है
उसकी बातें
जैसे ही प्रेम की बारिश होगी
उसमें भीगकर
फिसल जाने की इच्छा है

मैने देखा है...
खुद ही वह
इस गाँव की
स्ट्रीट लाईट लगती है
रात क्या दिन में भी
जल उठती है
पता है...
लोग चौंधिया जाते हैं
और भावनाओं की बनी
गली में जो नाली है
देखते ही उसमें
धड़ाम से गिर जाते हैं

कोई राशन कार्ड बनवा दो
और पट्टा भी दिला दो
क्योंकि...
आशिक़ी में आवास बनना तय है |

*#असकरन_दास_जोगी*

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