मधुरस

*#मधुरस*

छत्ते से
टपकते मधुरस
न जाने
किन-किन फूलों को
चुनकर...
रस लाये होंगे
मधुकर

गेंदा,गुलाब
या फिर मोगरा
सुनो...
महुँए को चूसकर
जरूर लाये होंगे
और आनंद से
उपजा मधुरस

खुशबू इतनी
के आसपास में
मादकता फैली है
यह रस नहीं
जीवन का संघर्ष है
मधुकरों के प्राण से प्रिय
बहुत अनमोल है
मधुरस

न जाने
कितने शूल
भेद गए होंगे
अंग और नस-नस में
तब जाकर
फूलों से मिले होंगे रस
यह जान लो...
आह की राह से
होकर आए
कितने मीठे होते हैं
मधुरस

किन्तु कितने अभागे हैं मधुकर
संग्रहण संरक्षण करके भी
लूट जाते हैं
तब जाकर मनुष्य
मधुरस पाते हैं
यह लूट जाना भी
लूट जाना नहीं होता
प्रकृति परहित का सब खेल है
यही तो जीवन का मधुरस है |

*#असकरन_दास_जोगी*

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