मकड़ी का मकड़ जाल है
*#मकड़ी_का_मकड़_जाल_है*
उनकी इरादें
बहुत ख़तरनाक है
चेहरे पर मत जाना
मासूमियत का टकसाल है
आयरन गिट्टी से
कब लोहा बन जाओगे
पता ही नहीं चलेगा
साँचे में ढल जाओगे
न जाने कितने फंसते हों
इस मकड़ जाल में
यह प्रेम नहीं परीक्षण लगता है
भविष्य में कौन काम आयेगा
ऐसा कोई लक्षण दिखता है ?
बातें खूब करेंगी
आप मिश्री से कहीं ज्यादा मीठे
नज़ाकत से शरारत की
एक बूँद जो पड़ी
पता नही चलेगा
आप कब पिघल जाओगे
शराफ़त का लकीर
रखेगी आपके सामने
जब राज बेपर्दा होगा धीरे-धीरे
सनम के करम से
न जाने कब सहम जाओगे
आप सपने गूँथते रहोगे
पर वो जो बुनती है
उससे कैसे उबरोगे
मकड़ी का मकड़ जाल है
*#असकरन_दास_जोगी*
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