छद्म राष्ट्रवादी
*#छद्म_राष्ट्रवादी*
जबरन ही जबरन
जय जयकार करते हैं
मरने-मिटने और
मारने की बात करते हैं
पेट में दांत और ज़हर इनके नस-नस में
राष्ट्रहित नहीं इनके बस में
प्रश्न जब सामने खड़ा हो
और उत्तर...
इनके हलक से जब न निकले
तब तमगा सौ-सौ
कुछ यूँ बांटते हैं
तुम सेकुलर हो
तुम जातिवादी हो
तुम अलगाववादी हो
तुम क्षेत्रवादी हो
तुम धोखेबाज़ हो
तुम आस्तीन के सांप हो
तुम विभीषण हो
तुम जयचंद हो
तुम धर्म द्रोही हो
अरे....!
तुम नक्सली हो
देखने से ही पता चलता है
तुम देशद्रोही हो...
*#रचनाकार_असकरन_दास_जोगी*
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