*बोलते दर्पण* आज ही दर्पण सुधार खाने में दिन के आखरी पलों में दो दर्पण छोड़े जाते हैं समय था नहीं कल के काम के लिए दुकानदार दुकान में उन्हें व्यवस्थित रख दुकान बंद कर चले जात...
*बोलते दर्पण* आज ही दर्पण सुधार खाने में दिन के आखरी पलों में दो दर्पण छोड़े जाते हैं समय था नहीं कल के काम के लिए दुकानदार दुकान में उन्हें व्यवस्थित रख दुकान बंद कर चले जात...