बोलते दर्पण
*बोलते दर्पण*
आज ही दर्पण 
सुधार खाने में 
दिन के आखरी 
पलों में दो दर्पण 
छोड़े जाते हैं 
समय था नहीं 
कल के काम के लिए 
दुकानदार दुकान 
में उन्हें व्यवस्थित 
रख दुकान बंद कर 
चले जाते हैं 
कुछ घण्टों बाद 
दो दर्पण एक दूसरे को 
आमने-सामने पाते हैं 
चकित हैं 
एक-दूसरे को देखकर 
परिचर्चा करना चाहते हैं 
एक-दूसरे से 
लेकिन शुरूआत 
कौन करे कैसे हो ?
यह तो सुधार घर है 
कितने दर्पण 
अपने स्वाँसों को 
समर्पण कर चूके हैं 
और बहुतों में 
नव प्राण ऊर्जा का 
संचार हुआ है 
एक दर्पण 
दूसरे दर्पण के आकर्षण,
चमक,रूतबा देखकर 
झिझक पाले बैठा है 
और यह झिझक 
बोलने कैसे देगा 
दूसरा दर्पण 
पहले दर्पण के 
फक्कड़ से हालत पे 
सोंचता है 
लेकिन अपने रूतबे 
के मैं में बोले कैसे ?
अचानक एक चूहे नें 
दौंड़ लगाया
हिलने-डुलने 
की आवाज ने 
भय लाया 
एक दर्पण 
इस भय में 
भयभीत होकर 
चीख उठा
दूसरा दर्पण 
फिर बोल पड़ा 
डरते क्यों हो भाई 
हमें भी डराओगे 
इस अँधेले में 
जान लुटाओगे 
पहला दर्पण 
फिर बोलता 
डर,चिंता और दु:ख
यही तो मेरा जीवन है 
इनसे विलग मेरा कोई 
क्षण नही है 
दूसरा दर्पण फिर 
हँसते हुए कहता 
बड़े अटपटे हो 
चूहे की दौंड़ से 
डर जाते हो 
पहला दर्पण
फिर बोलता 
मैं अटपटा नही भाई 
चूहों और चिड़ियों 
से डरता हूँ 
दूसरा दर्पण पर क्यों ? 
पहला दर्पण 
भाई मुझ पर आकर 
अपने दाँत,चोंच और 
नाखूनों को रगड़ते हैं 
मेरी छवि से खेलते हैं
भय यही है की मैं 
टूट न जाऊँ 
कहीं उपयोगिता से 
बाहर न हो जाऊँ 
मेरे मालिक बहुत 
गरीब हैं 
असुविधाओं के 
करीब हैं 
इतने में दूसरा दर्पण 
फिर कहता 
हाँ हालत से तो लगते हो 
अच्छा आपका नाम क्या है 
और कहाँ रहते हो ?
पहला दर्पण 
ओह मेरा परिचय 
दूसरा दर्पण हाँ 
आप ही का परिचय ?
पहला दर्पण 
मेरा नाम यार 
कुछ खास नही 
*दमित दर्पण* है 
मैं इस शहर के 
उस गली में रहता हूँ 
जहाँ शोषण की आग 
फैली हुई है 
और प्रत्येक घर 
मकान नही झोपड़ा है 
वहाँ सड़क,नाली,
बिजली, पानी,शिक्षा,
व्यवसायऔर अन्य 
सुविधाएं बहुत 
कमजोर है
आप सुने तो होंगे ही
उस गली का नाम 
चुनाव के समय 
अक्सर बड़े-बड़े 
नेता लोग वहाँ 
आते-जाते हैं...
*दीन पथ* नाम है 
दूसरा दर्पण ओह 
हाँ बहुत सुना हूँ 
बहुत फेमस गली है 
सच में आप 
*दमित और दुखित* 
हो 
एक बात और 
बस चुनाव के समय 
मिडिया में छाया रहता है 
आपकी गली 
यह भी सत्य ही है 
और होता कुछ नहीं 
दमित दर्पण बोलता है 
आप तो जरूर 
शहर के *गौरव पथ* 
से आये होंगे 
जहाँ चकाचौंध रौशनी,
बहुमंजिला इमारतें 
और सुविधाओं का 
भण्डार है, 
आपका नाम क्या है ?
दूसरा दर्पण हाँ यार 
मैं शहर के *गौरव पथ*
से आया हूँ 
मेरा नाम 
*गोल्डन मीरर* है
दमित दर्पण कहता है 
आप तो भाग्यशाली हो 
गोल्डन मीरर मुस्काता है 
और दमित दर्पण 
से कहता है
मैं आपके जीवन की 
रोजमर्रा गतिधियों 
से भी परिचित होना 
चाहता हूँ 
आप अपने निवास में 
क्या देखते हैं 
और अपने मालिक को 
क्या दिखाते हैं 
दमित दर्पण 
मेरा जो हाल है 
उससे आप
बखूबी 
परिचित हो ही 
फिर भी 
जानना चाहते हैं 
तो सुनिए 
वैसे तो सत्य से 
हमेशा मेरा सम्बंध 
रहा है और आपका 
भी होगा 
गोल्डन मीरर हाँ 
पर मैं जो सत्य 
दिखाता हूँ 
उसे मेरे मालिक लोग 
अनदेखा कर देते हैं 
दमित दर्पण ठीक है 
मेरा सुनिए 
मुझमें जब
मेरे मालिक 
निहारते हैं 
तो उन्हें उनके 
चेहरे में दु:ख,
झुर्रियां,आँसू ,
चपटे गाल,
झड़ते-पकते बाल 
बुझा हुआ 
चेहरा ,पेट तो 
दिखता ही नहीं 
बच्चे 
हाथो में लेकर 
मुझसे खेलते हैं 
जीभ और दाँत 
दिखाते हैं आँखों को 
नचाकर मुझसे 
आँख में आँख 
मिलाते हैं फिर 
अपने केशों को 
संवारते हैं 
माता-पिता के 
तरेरती आवाज 
सुनकर झट से 
मुझे मेरे स्थान पर 
फिर रख 
भाग जाते हैं
मैं वहाँ 
यह देखता हूँ 
भूँख,अशिक्षा,
टूटे छप्पर,
भविष्य की चिंता,
संकट का भय,
उचित मेहनताना 
का तो नाम ही नहीं ,
स्वास्थ्य का 
हाल बेहाल 
माता का आँचल 
फटा पड़ा है 
बच्चों के कपड़े 
खापे गए हैं 
पिता तो बंड्डी 
कुर्ते में ही काम 
चलाता है 
एक टूटा हुआ 
सायकल है 
जिसमें कभी-कभी
बच्चे मुझे रख देते हैं 
पंखा तो है नही 
पर मजे की बात 
दीवाल बीच से 
खिड़की की तरह 
टूटा हुआ है 
कोई भी मौसम हो 
ए.सी. की तरह काम 
करता है , 
एक बात 
यहाँ अंधविश्वास,
रूढ़िवाद व नशे ने 
अपना बसेरा 
बना लिया है 
संघर्ष का कोहरा 
फैला हुआ है 
बस्ती में 
एकता और अधिकार 
की लड़ाई गायब है 
सब बिखरे पड़े हैं 
भाग्यवाद तांडव 
कर रहा है 
इतना कहते-कहते 
दमित दर्पण रो पड़ता है 
यह सब देखकर 
गोल्डन मीरर 
बोलता है 
चूप हो जा यार 
तेरा दर्द 
वास्तव में 
असहनीय है 
और गोल्डन मीरर 
दमित दर्पण को 
चूप कराता है 
इतने में 
अचानक 
एक बिल्ली 
उसी चूहे को 
झपटने दौंड़ पड़ी
कमरे में रखे हुए 
कुर्सी को धक्का 
लगा 
यह सब देखकर 
दमित और गोल्डन 
दोनो डर गए 
कहीं हम पर 
आकर न गीर पड़े 
कुर्सी का भीड़ंत 
सामने वाले 
एक और दर्पण 
से होता है 
और वह 
दो भागों में 
खण्डित हो जाता है 
उस दर्पण की 
हालत देख 
गोल्डन और दमित 
काँप उठते हैं 
दोनो के मुँह से 
चीखें निकल आती है 
अन्य सभी दर्पण 
घबरा उठे 
चूहा दौंड़ते भागते 
बील में घूस जाता है 
बिल्ली ताक लगाये 
बैठकर देखने 
लगती है 
टूटा हुआ दर्पण 
अपनी अवस्था 
पर दुखित है 
किसी तरह 
कमरे में शांति पसरा 
दमित गोल्डन 
से कहता है 
कुछ अपने बारे 
में भी बताईए ?
गोल्डन बोला 
चलिए ठीक है 
मेरा भी सुनिए 
आपकी तरह 
मैं भी सत्य से 
वास्ता रखता हूँ 
जो सच है 
वह दिखाने की 
हमारी तो 
प्रकृति ही है 
मेरे मालिक 
जब मुझमें निहारते हैं 
तो मैं उन्हें उनका 
लाल-लाल गाल,
रंगे हुए केश,
अच्छे खासे 
हेयर डिजाईन,
मोटापे से लदा शरीर 
बहुत सुंदर पोशाक 
ना खत्म होने वाली 
कामनाएँ 
और इसके साथ 
मैं देखता हूँ 
अहम्, लोभ,
अकेलापन,
मकान नही महल 
लगता है 
हर दीवार यहाँ 
अमीरी का गज़ल 
लगता है 
शादगी और प्रेम 
तो बहुत दूर की 
बाते हैं 
घर के बच्चे 
आधुनिक सुविधाओं 
से लबरेज हैं
मद्यपान,धूम्रपान,ड्रग्स
देर रात पार्टी 
यह सब आम बाते हैं 
पैसों के लिए 
एक दूसरे का 
खून भी कर सकते हैं 
लोगों को अपने 
जाल में फसाना 
सुविधाओं 
को एकत्र 
करने के लिए माध्यम हैं
दूसरे के अधिकारों 
का हनन करना 
इनका शौंक है 
यहाँ शिक्षा, स्वास्थ्य,
व्यवसाय खूब 
फलता-फूलता है 
यही लोग 
राजनीति के 
किंग और किंग 
मेकर हैं 
इनकी गलियों में 
ये नही इनके रूतबे 
मिलेंगे कार,बाईक,
स्ट्रीट लाईट,
बड़े-बड़े गेंट 
गेंटों में दर्बान 
भूखे के लिए 
इस गली में जगह नही 
देखो न मैं भी 
स्वर्ण पट्टीयों से 
सजाया गया हूँ 
यही तो मेरा 
आकर्षण है 
और मेरा घमण्ड भी 
इतने में दमित 
बोल पड़ा 
इसी चमक और 
आकर्षण को 
देखकर मैं आपसे 
बात करने के लिए 
झिझक रहा था 
गोल्डन बोला यही 
दायरा मुझे भी 
आपसे बात करने 
के लिए रोका हुआ था 
बात खत्म ही नही 
हुआ फिर दर्पण सुधार 
घर का दरवाजा 
खुल जाता है 
चूहे के ताक में 
बैठी बिल्ली भाग 
जाती है 
दुकानदार दरवाजा 
खोलकर दर्पणों में 
उनके सुरक्षा आवरण 
लगाने लगते हैं 
गोल्डन दमित से 
कहता है अब तो 
कुछ देर का साथ है 
आपका और मेरा 
आपसे बातें करके 
अच्छा लगा 
दमित भी बोल पड़ा 
मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है 
फिर बोला मुझसे मित्रता करोगे ?
गोल्डन कहता है क्यों नहीं 
बोलते दर्पणों में 
मित्रता हो जाती है 
फिर कुछ देर में ही 
गोल्डन में नये 
स्वर्ण आवरण 
लगाए जाते हैं 
और वहीं 
दमित पर साधारण 
टीन के सुरक्षा आवरण 
लगाया गया 
दमित और गोल्डन 
दोनो बिछड़ते मित्र 
एक दूसरे को 
बाय बोलते हैं 
दोनो को सजावट 
के साथ पैक कर 
रख दिया जाता है 
दुकान के सामने 
एक बड़ा कार 
आकर रूकता है 
और कार वाला 
गोल्डन मीरर 
को लेकर चला 
जाता है 
उधर टूटे सायकल 
में एक बच्चा आता है 
सायकल खड़ा कर अपने 
खिसकते हुए पैंट को 
कमर की ओर 
चढ़ाता है 
दुकानदार से 
दमित दर्पण 
को मांगकर 
फटे झोले में 
डालकर 
सायकल चलाता 
चला जाता है |
असकरन दास जोगी 
9340031332
www.antaskegoth.blogspot.com
 
 
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