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Showing posts from October, 2020

अपनी ख़्वाहिशों की मीनारें

 जिसे चाहता हूँ मैं टूट कर चाहता हूँ  पता है..?  मुझे फिक्र नही बिखर जाने की सुनो... ज़िक्र वो करे या न करे  मैं तो आशिक़ ठहरा  उसकी नफासत की देखेंगी उनकी निगाहें  मुक़म्मल होंगी एक दिन  बड़े अदब से  अपनी ख़्वाहिशों की मीनारें

सतनामी सिर्फ सतनामी है

 #सतनामी_सिर्फ_सतनामी_है  गाँवों में आज भी  सतनामी और हिन्दू मुहल्ला है अलग  फिर कौन कहता है  यही कि हम हिन्दू हैं...?  मरघट के दो हिस्से हैं  एक तरफ शव जलता है  दूसरी ओर दफ़न होता है  कफ़न देखकर बता सकते हैं जो मरा है... वह सतनामी है या हिन्दू है हमारे किसी मांगलिक कार्यों में  कोई पंडित नही आते  हमारे पास स्वयं का साटीदार और भण्डारी है  सुनो... सतनामी सिर्फ सतनामी है गाँवों में अपने उस्तरे से  नाई नही काटते हमारे बाल  जो हिन्दू की संज्ञा देते हैं  वे जान लें... हम स्वावलम्बी हैं किसी भी  पौनी पसारी व्यवस्था के  हम हिस्सेदार नही हैं  कोई बताये  कैसे भला हम हिन्दू हैं ? चुनावों में धड़ल्ले से  हमे हिन्दू बताया जाता है  जब अधिकार की बात होती है  पता है...? तब आरक्षण वाला हमारा नेता  न्याय और अधिकार ले भी नहीं सकता देवालय से गुरुद्वारा है भिन्न  मूर्ति से जैतखाम है अलग  कौन सी संस्कृति हिन्दू से मिलता है ?  हम सिर्फ चुनावी हिन्दू हैं  सुनो... सतनामी सिर्फ सतनामी है | #असकरन_दास_जोगी चित्र : बोड़सरा धाम

हार कर जीतें

 #हार_कर_जीतें अपना अनुभव  अपने पास रखो  अरे हमें भी तो सीखना है  कैसे गिरते और कैसे उठते हैं सब कुछ  पहले ही जान जायेंगे  तब आप ही बताओ  सीखने के लिए  बचेगा क्या ?  कुछ करने से पहले  द्वंद में न डालें  मानाकि... मार्गदर्शन लेना जरूरी है हार कर जीतें  बहुत जरूरी है  सिर्फ जीत ही हासिल हो  यह अहंकार का सबब बन सकता है | #असकरन_दास_जोगी

फुटानी

 #फुटानी  बावन कोसी के दूरा म  मन के सोना दिल के हीरा हँव टूरा म  कतको के सुने होहव कहानी  फेर बिल्कुल नइ मारौं मैं फुटानी  मोर मया तो सांगा म नइ समावय  वो जकाड़ो कहत रहिच  पैरा डोरी म कटकट ले बोझा बाँध दे  बोह के ले जाहँव.... फेर कहेवं... देख बाद म नटबे झन  करी लाडू कस पाग बांधहँव बुढ़वा के चाबे ले लोढ़वा के फोरे ले  चिटकन नइ तड़कय अउ सुन न  कहूँ अंगरी ल छोड़  मुरवा ल धर लेहूँ  कोनो बैरी छोड़वाय बर कतको तीर लय  गोइहा कस खोभियाय  टस ले मस नइ होवय तब उहू कहिच अइसन हे त... अरे हमर घरबार अंगना म फूले चंदैनी गोंदा कस  रुगबुग ले रइही  अउ जिनगी बसंत असन सतरंगी खुशी देखाही बस तहाँ का  झम ले आँखी खुलगे  देखत सपना टूटगे | #असकरन_दास_जोगी

मानाकि

 #माना_कि शब्द भेदी बाण चलाने वालों  कभी आँखें खोलकर देख लिया करो  कहीं मरने वाला बेक़सूर तो नहीं  माना कि आप लोगों में विलक्षण प्रतिभा है  किन्तु... इसका सहीं प्रयोग तो करो  अरे ओ उड़ती चिड़िया के पर गिनने वालों  कभी पास बुलाकर  प्यार से गिनकर देखो तब आंकलन और हक़ीकत का पता चलेगा इस महानता पर लिखें  तो कुछ कम नहीं  महाकाव्य अवश्य लिख सकते हैं ओ गेहूँ के साथ घून पीसने वालों चक्की चलाने से पहले  ठीक से चून भी लिया करो दर्द सभी को होता है पर पीड़ा भी समझें  ओ सूरत से सीरत बताने वालों आओ कभी पास बैठो  परिचय और परिचर्चा तो कर लें.... | #असकरन_दास_जोगी
 #वैभिचारिता_का_विष कितना कठिन हो गया है  महिलाओं को सम्मान देना  और आबरू लूटना  ऐसे जैसे पके अमरूद को तोड़ना क्या यही सब विश्व को सिखलाओगे...? पुरुषत्व का दम्भ  कब तक दिखाओगे  ख़त्म करो साहब... वैभिचारिता का विष  कुलदीप सेंगर के पक्ष में भी खड़े हुए  आज 12 गाँव खड़े हैं  चार बालात्कारियों के पक्ष में  तुम्हारे वर्ण और जाति श्रेष्ठता  क्या किसी बहन की आबरू से बड़ी है...? दादा,पिता,चाचा और भाई इनके स्वाभिमान को रौंदने के लिये  सिर्फ बदला और झुकाने के उद्देश्य से  यहाँ बहन,बेटी,पत्नी न जाने कितनी  महिलाओं की अस्मत अस्त कर देते हैं क्या यही आपके संस्कार हैं...? अहिंसक समाज को  हिंसा के लिए न उकसाओ  क्यों मार रहे हो मानवता को मर गया क्या तुम्हारा धर्म...? न्याय और शासन  अपने हाथ रखकर  करते शोषण और राजनीति  क्या यह नही है...भारत की अवनति...? #असकरन_दास_जोगी

पता है...?

 #पता_है...? " अपने तबीयत का मिज़ाज  कभी चढ़ता कभी उतरता है  पता है...? बुख़ार है...मगर ईश्क का है " " थर्मामीटर भी भौंचक है  कभी इधर कभी उधर देखता है  पता है...? कहता है...मेरे वश से बाहर है " " दवाइयाँ खूब लिया  असर अब भी बेअसर है  पता है...? उसने छुआ ही नही हमें  हमदर्दी से " " इलाज क्या है  पता उसे है और पता हमें भी है  पता है...? डॉक्टर को पता नही है " #असकरन_दास_जोगी

अपनी बिसात

 #अपनी_बिसात अद्भुत,अद्वितीय,क़यामत चाँद,हंसिनी और रातरानी  क्या नहीं कहते होंगे तुम्हें ?  तुम बहुत,बहुत सुन्दर हो  ऐसा कहने वाला  मैं पहला तो नही ?  तुम सबसे अलग हो  ऐसा मेरा कहना  कुछ नया तो नहीं होगा ?  तुम कैसी हो  यूँ हाल पूछने वाले  और भी तो होंगे ? सपनो में सजाने वाले  दिल में बसाने वाले  पलकों में बिठाने वाले  अज़ी होंगे हज़ारों... हम तो सिर्फ चाहते हैं  पता तो होगा ही  अपनी बिसात बिन्दु के बराबर है  पता है न...? भला अरमान क्या पालें | #असकरन_दास_जोगी

छोटी घटना

 #छोटी_घटना   उत्तर प्रदेश में बलात्कार होना  एक बड़ी घटना है  लेकिन छत्तीसगढ़ में... यह एक छोटी घटना है  राजनैतिक गिध्द बनकर  किस मामले को उठाना है  और किस मामले को दबाना  इन्हें अच्छे से आता है  ये राजनेता जो ठहरे  इन्हें दिखता नहीं  पीड़ितों की शिकायत का  एफ.आई.आर. दर्ज तक नहीं होता  जब तक कोई सामाजिक आंदोलन न हो  थानों में पीड़ितों से ज्यादा संरक्षण  आरोपियों को मिलता है  जेब जो गर्म करते हैं  पता है न...? टेबल के नीचे से  न्यायाधीश को लोकसभा में जाना है  पुलिस को पदोन्नति चाहिए जाँच करने वाले डॉक्टर को नौकरी बचाना है  मीडिया को लाख दो लाख का विज्ञापन चाहिए सारे फाईल... सत्ता के इशारे में तैयार होना है बिना बीवी बच्चे वाले सत्ताधारियों की इतनी समझ कहाँ  कि कहाँ क्या बोलना है  सत्ताधारी मंत्री जी... समझना तो आपको चाहिए आपके तो बीवी बच्चे हैं बड़ी घटनाओं में न्याय की उम्मीदें कम है  हमारी प्रार्थना है  छोटी घटनाओं में कृपया न्याय दिलायें | # असकरन_दास_जोगी

Melody Queen सुरुज बाई खाण्डे

Melody Queen  *अन्तर्राष्ट्रीय भरथरी गायिका सुरुज बाई खाण्डे* भरथरी गायन की एक विराट विधा को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर में पहचान दिलाने वाली सूर्य जैसा तेज रखने वाली सुरुज बाई का जन्म 12 जून 1949 में हुआ | आपकी माता का नाम श्रीमती रेवती बाई एवं पिता जी का नाम श्री घसिया घृतलहरे था | आपका जन्म छत्तीसगढ़ सतनामी समाज के एक सामान्य कृषक परिवार में हुआ | आप उसी कृषिभूमि की मिट्टी जैसीं आज भी जन मन में सौंधी-सौंधी महक रही हैं | सुरुज बाई स्कूली शिक्षा प्राप्त नहीं की थी लेकिन अपने परिवार से मिले व्यवहारिक शिक्षा और कला में दक्ष थीं | आपकी जन्मस्थल 6वीं शताब्दी में निर्मित देवरानी जेठानी मंदिर ताला गाँव से लगा हुआ ग्राम पौंसरी तहसील बिल्हा जिला बिलासपुर है | सुरुज बाई बचपन से कुशाग्र बुध्दि की थी, अपने भाई से भी कहीं ज्यादा नटखट एवं चंचल स्वभाव की थीं | यही चंचलता उन्हें सात साल के उम्र से ही भरथरी गायन में महारत करती जा रही थी | आपने भरथरी गायन बचपन से ही नाना रामसाय जी से सीखा, साथ ही साथ ढ़ोला मारू,चंदैनी,आल्हा उदल गायन भी सीख लिया | जैसे ही आपने युवावस्था की दहलीज़ पर कदम रखा | आपकी शादी ग्राम