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Showing posts from November, 2020

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस की बधाई किस मुँह से दें ?

 #छत्तीसगढ़_राज्य_स्थापना_दिवस_की_बधाई_किस_मुँह_से_दें...? जब हम छत्तीसगढ़ में जातिवाद का विरोध करते हैं तब विरोध करने वाले को ही जातिवादी कहा जाता है यह आपकी समझदारी है या मूर्खता...? जातिवाद और भेदभाव पर चर्चा करने के लिए सबकी जुबान बंद हो जाती है....देखना गिनती के लोग ही कमेन्ट करेंगे....अन्य जाति के मेरे मित्र बिना पढ़े भाग जायेंगे  #छत्तीसगढ़_राज्य_की_मांग :-          छत्तीसगढ़ राज्य की मांग का नीव सतनामी समाज के गुरुद्वारा में दिनांक 12 सितम्बर 1945 ई. में जगत् गुरु गोसाई अगम दास जी के निवास लोधीपारा मोवा भांठा रायपुर में बैठक आहुत कर रखा गया | जिसमें गुरु गोसाई अगमदास जी साथ में महंत रतीराम ,राजमहंत अंजोरदास कोसले,राजमहंत नयनदास महिलांग,महंत विशालदास,महंत भुजबल,गौटिया महंत आधारदास सोनवानी और पं.सुंदर लाल शर्मा,दाऊ घनश्याम सिंह गुप्ता,डॉ.खूबचंद बघेल,गजाधर साव,ठाकुर प्यारे लाल सिंह सम्मिलित थे | बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि हम सब मिलकर छत्तीसगढ़ राज्य बनाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देंगे इसके लिए आंदोलन और मांग विधिवत प्रारम्भ की जायेगी | तभी देश में आजादी की लड़ाई न

सच में बारिश होती है क्या ?

 #सच_में_बारिश_होती_है_क्या_? कोई बारिश नही हुई  अमृत की  घण्टों देखता रहा आसमान को  चांद बादल में छिप गया  और मैं भी सो गया चादर ओंढ़ कर ऐसे कैसे बीत सकती है  शरद पूर्णिमा की रात...? ठण्ड कल पहले से ज्यादा था  आँगन में गोंदा  अपने सौन्दर्य और आकर्षण पर  इठला रहा था मैने कहा ऐसे ही रहो कुछ फोटो ले लेता हूँ  और ले लिया इज़ाज़त जो मिला था उसके मुस्कान से... अपने हाथ में स्वाद नहीं  हमने तो कल खीर भी नहीं खाई कैसे बनाती  माँ थककर आई थी  धान कटाई में खेत से  सुनो... नये चावल का खीर जल्द ही मिल सकता है खाने के लिये... क्या कहें  रास भी नहीं रचा सकते  अपनी कोई न तो राधा है  और न ही गोपियाँ  स्थिति ऐसी कि सिर्फ पंथी कर सकते हैं सुनो... सच जानना था  सच में बारिश होती है क्या  शरद पूर्णिमा को  अमृत की...? #असकरन_दास_जोगी

मेलूहा-2

 #मेलूहा-2 पानी पर मैं पानी लिखूँ  मुहब्बत की कई निशानी लिखूँ  हड़प्पा की वो लगे लिपि  कोई पढ़ न सके... ऐसी कहानी लिखूँ सिन्धु,सरस्वती और महानदी सा निर्मल,शीतल और शौर्य प्रबल हो  प्रकृति का पर्याय  चमक उसकी इंद्रधनुषी हो  मेलूहा उसका नाम हो  बेख़बर सब फिर भी न अंजान हों मशहूर हो दुनिया में  कि हर निगाह में उसके लिए ख़्वाब हो सुनो... सदियों बाद जब टीलों से  मखमल सी मिट्टी हटे  वो शोधकर्ता हैरान हो  उसके दांतो तले ऊंगली कटे अक़्ल-ए-अतरफ़ के अश्व दौंड़े  जब देखे क़ल्ब-ए-जहान कहे मेलूहा तुमसा नही  अनंत-अनादि सौन्दर्य की खान | #असकरन_दास_जोगी