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Showing posts from June, 2020

लड़ना

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#लड़ना लड़ना अर्थात् हिम्मत न हारना अपने दुश्मन की आँख में आँख मिलाकर डटे रहना लड़ना... अर्थात् भयभीत न होना जब हमारी आवाज़ दबाई जाये हमें चूप रहने को कहा जाये तब हमारा दहाड़ उठना लड़ना... अर्थात् न्याय की आवाज़ बुलंद करना तलवार को म्यान में रखना और कलम की नोक से सत्य का लावा उगलना अर्थात्... श्याही से शैतानों की व्यवस्था श्याह करना सारे रास्ते बंद हो तब हथियार उठाना हर ज़ोर हर जुल्म प्रत्येक दमन के विरुद्ध लड़ना... अर्थात् विद्रोही होकर प्रतिकार करना हम वक्त से लड़ते हैं हम दूसरों से लड़ते हैं हम अपनों से लड़ते हैं जब जाग जाते हैं तब खुद से भी लड़ते हैं खुद से लड़ना... अर्थात् सत्य को स्थापित करना | #असकरन_दास_जोगी

सुनो जॉर्ज फ्लॉयड-2

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#सुनो_जॉर्ज_फ्लॉयड...! (2)   सुनो जॉर्ज फ्लॉयड ! अच्छा हुआ तुम भारतीय नही थे अगर भारत में होते तो तुम चुनावी हिन्दू होते सच कहूँ तो छोटी जाति का तुम्हारे जन्म लेने पर कुछ बड़ा बदलाव नही होता बस एक शोषित की संख्या बढ़ जाती तुम गरीब तो होते और साथ ही नीच भी तुम्हारे छूने मात्र से पानी का मटका,श्रेष्ठ वर्ण,मंदिर और भगवान की मूर्ति भी अशुध्द हो जाती जॉर्ज फ्लॉयड ! तुम्हारी गर्दन को एक श्वेत पुलिस सिपाही ने पैर से दबाकर तुम्हें मार डाला लेकिन तुम भारत में होते तो तुम्हें नग्न कर बेल्ट से मारा जाता सैंकड़ों की भीड़ तुम्हारी मॉब लीचिंग करती तुम्हें मानव मल खिलाया और पिलाया जाता और कारण यही कि तुम अछूत होते सुनो फ्लॉयड ! यहाँ अगर तुम सेना के सिपाही भी रहते और अपना व्याह रचाते तो तुम्हें घोड़ी चढ़ने नही दिया जाता तुम्हें संरक्षण लेना पड़ता भारतीय पुलिस से क्योंकि तुम शूद्र होते और संविधान तुम्हारे मानवीय अधिकारों की रक्षा करती जॉर्ज तुम्हें तो वहाँ "I Can't Breathe" कहने का अवसर भी मिल गया किन्तु यहाँ.... तुम्हें मारने के समय तुमसे अपने तथाक

सुनो जॉर्ज फ्लॉयड-1

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#सुनो_जॉर्ज_फ्लॉयड....(1) गोरे और काले में जो भेदभाव पैदा करे ऐसे नस्लवाद का विरोध करना अच्छी बात है हम भी कहते हैं.... नस्लीय श्रेष्ठता का नस्लवाद मुर्दाबाद लेकिन मैं लानत भेजता हूँ हमारे उन भारतीय साहित्यकारों को जो अमेरिका के नस्लवाद का खुलकर विरोध कर रहे हैं खुद को काला कहते हुए लेकिन इनकी आँखों में मोतियाबिंद और अंधरौटी आने लगती है जब हम भारतीय जातिवाद का जिक्र करते हैं इनकी ज़ुबान सील जाती है बिल्कुल पिछवाड़े से खपे हुए पैंट की तरह ये हमारी तरह कभी कह नही सकते भारतीय जातिवाद मुर्दाबाद...??? अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की छटपटाहट को ये अच्छे से महसूस कर सकते हैं ये सुन भी सकते हैं इनके कानों में आती है फ्लॉयड की वह आवाज़ जो उसने तड़पते हुए कहा "I Can't Breathe" और ये फ्लॉयड की गर्दन की जगह पर अपने गर्दन को पाने का नाटक करते हैं फिर कहते हैं... गौरांग अमानुषता का सर्वनाश हो लेकिन ये भूल से भी नही कहते भारतीय जातिय श्रेष्ठता का सर्वनाश हो...??? इन्हें श्वेतों की श्वेत फासीवाद और अमानुषता वायरस लगती है लेकिन ये कैसे दोमुहें सांप हैं भारतीय ज