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Showing posts from December, 2020

ये सफेद झण्डे वाले

 #ये_सफेद_झण्डे_वाले  बड़े सड़यंत्रकारी  हैं विरोधी के तेवर  कब क्या चाल चलें  फिर हम बैठे हाथ मलें  जब ये एकता होते  धारा 144 लगाया जाता है  जातिवादी प्रशासन और सरकार  नीच हरकत में आता है  अपनी डाल में बैठे-बैठे  टिटही जैसे टेहियाते हैं  विवश हैं प्रशासन के आगे  ये सफेद झण्डे वाले  इनके वर्ग के विधायक और मंत्री  दांतों के बीच जीभ जैसे हैं  पद का लोभ पाले निराला  समाज का हित क्या करेंगे...? देखो-देखो साहब... पूना पैक्ट के पट्टे वाले  कितने महापुरुष और विभूति हैं इनके  जिनके नाम पर डालें दाना  लाखों बनाये बैठे संगठन  वह भी राजनीतिक पार्टी का पाट है  सुनो... मैं बड़ा मैं बड़ा का आलाप है  काम का पूरा सत्यानाश है | #असकरन_दास_जोगी

मैं शून्य हूँ

 #मैं_शून्य_हूँ कहने को क्या कहूँ  बेहद चाहता हूँ उसे  अपने हद में रहकर  अपनों के पास तो  हमेशा रहती है  वह है भी और नही भी  मेरे पास  हम मिलेंगे यह विश्वास है  परन्तु परिस्थिति  न जाने क्या गुल खिलाये मैं महसूस करता हूँ  वह हवा की तरह हिलोरती है मुझे  पानी की तरह भिगाती है  मिट्टी की तरह महकती है मुझमें  तपती रहती है आग की तरह  और छायी रहती है मन में  अनंत आकाश की तरह वह प्रकृति है  और  मैं शून्य हूँ | #असकरन_दास_जोगी

कैंची कस फांक

 #कैंची_कस_फांक जब कोनो हमर बात ल  बिना सुने  कैंची कस  कच ले फांक देथे  तब मन म बात उठथे  वोहर हमला कतका महत्व देथे ? कोनो बंधना नइ होना चाही  अवसर के समानता  सबला मिलना चाही  बस अपन पक्ष रखे बर  कपड़ा,सूँत,कागज  न जाने का का कटाथे  कैंची म  फेर सच बात हर  कैंची के काटे कस कटथे  त पीरा बहुत होथे | #असकरन_दास_जोगी

जागो

 #जागो  सुबह तो होना ही है  सुखद शाम की तलाश है  यहाँ दिशा और दशा  सब कुछ ख़राब है  खुद की श्रेष्ठता के लिए  यह कैसा दम्भ है  बताओ जातिवादी... क्यों औरों को हेय समझते हो ? मन का भेद  कौन मिटाए  जो बाँट रखा है  एक मानव को मानव से  सुनो...यही तो  शोषण का कारण है यहाँ निरपेक्षता  सिर्फ कागज़ों में भ्रमण करता है  जानते हो... मानवता रोज मरती है  इन दम्भियों के कृत्यों में ज्वार और भाटा सक्रिय हो  उफान आनी चाहिए  कब तक सहिष्णुता धारण करें ? जागो... अब तो व्यवस्था परिवर्तन हो | #असकरन_दास_जोगी

छत्तीसगढ़ी गीत

 #छत्तीसगढ़ी_गीत  तैं मोर ले दूरिहा होके...जीयत होबे कइसे  कलपत होबे अंतस म...खून के आँसू रोवत होबे....  तैं मोर ले दूरिहा होके.........2 बैरी बनगे जमाना रे,देवत रहिथैं ताना | मया ककरो का बिगाड़थे,टूटत हन जइसे पाना || बाँधत होबे कइसे मन ल,घड़ी-घड़ी छटपटावत होबे...  तैं मोर ले दूरिहा होके...जीयत होबे कइसे....?  पिरीत म परगे पहरा रे,ये दुनिया कइसन अढ़ा | जागे रहिच भाग तेनो,निकलगे अइसन कढ़ा || संसो जीव लेवत होही,सुरता के डोरी ल खींचत होबे... तैं मोर ले दूरिहा होके,जीयत होबे कइसे...? मिल जातिच तोर संदेशा,अइसन मन के आशा | होही मिलना कब जोही,छावत हे मन म निराशा || हदरत होबे हिरदे ले,मोरो सोर तो लेवत होबे... तैं मोर ले दूरिहा होके,जीयत होबे कइसे...? #असकरन_दास_जोगी

सुनो....

 #सुनो... आँखों से बातें करना  अच्छा लगा, अच्छा लगा  उनसे दूर से ही मुलाकात करके  अपना परिचय  नमस्ते से समझते तक  अन्यथा... यहाँ तो लोगों का  खुद से ही परिचय कहाँ उनकी सादगी  शरद की पूर्णिमा जैसी और हम ठहरे  अमावस की काली रात मोती से लगते हैं  होंठों पर चमकते दांत  सच कहूँ  वह अपने जैसी एक ही है काले कुंतल  मेघों से भी घनेरे  पता है...? उनके आस पास होने पर  वृक्ष की छाँव का एहसास होता है मेरे आंगन में  यही छाँव चाहिए  सुनो... इस दौड़ती भागती ज़िन्दगी को  आराम तो मिले | #असकरन_दास_जोगी

पता हो उसे

 #पता_हो_उसे उसकी मुस्कान  और उसकी आँखों की  चमक के बिना... सब कुछ सूना है पता हो उसे  सूना पड़ा है  मेरा घर,मुहल्ला और मेरा गाँव  बिना सुने उसे उसकी हँसी  और उसकी बातें  बड़े ठहराव के साथ  गूंज रहे हैं  मेरे कानों में हम दोनों से हुआ  नज़रें मिलाना  और नज़रें चुराना  फिर देखकर एक दूसरे को  प्यार से मुस्कुराना कोई कहे उसे  सूना-सूना लग रहा है  सुबह,शाम और रात | #असकरन_दास_जोगी

जीवन पथ

 #जीवन_पथ सूनी पड़ी है राह  पलकें बिछी है  सुबह से शाम तक  जीवन पथ पर  उनका आना  कुछ इस तरह हो  जैसे पहले बारिश से  नहर में पानी आती है  और महक उठती है मिट्टी वह आये  दिनभर दाने चुगकर  घरौंदे की ओर  लौटती चिड़िया की तरह सुनो... मैं उसे अपनी बाहों में  समेट लेना चाहता हूँ  ठीक वैसे ही  जैसे शाम की सिन्दूरी सूर्य को  बादल समेट लेता है है प्रतीक्षा  अपने साथी का  जो जीवन पथ पर  कदम से कदम मिलाकर साथ चले | #असकरन_दास_जोगी

अंतस के कोठी

 #अंतस_के_कोठी दउरी फांदे कस रउंदत हे  तोर सुरता हर  मोर मन के पैर ल  कोड़ियावत हे  कलारी जइसे  तोर मीठ-मीठ बात हर  अउ रगबग ले दिखत हे  मया के दाना हर  का सच म  मोला मिलही अइसन मया के दाना  या फेर ओसाय म... पुरवई पा के  बदरा बनके उड़ा जाही ? बीजहा कस खनखन ले  दगदग ले दिखही  आस के कोठार म  जब सकलाही  होही कहूँ अइसन त  रास रच के  मोखला अउ गोंदा सजाके  पानी परछन करत  अंतस के कोठी म उतारहूँ | #असकरन_दास_जोगी

आप पहचानिए उसे

 #आप_पहचानिए_उसे ख़ामोशी  एक ज़हर होती है  जो धीरे-धीरे मारती है  आँख बंद करके  किसी पर विश्वास करना  ज्वालामुखी से निकलते  लावा से कम नहीं होता कोई अपना बनने का ढोंग करे आप पहचानिए उसे  भ्रम में रहना अच्छा नहीं होता आपको जब कोई विषय  ज्यादा ही पारदर्शी लगे  तब विचार करना चाहिए  हो सकता है... परतों में परदा हो अपनी अच्छाई तब तक रखें  जब तक बात आपकी भलाई पर हो  अच्छाई वहाँ ख़त्म कर देना चाहिए  जहाँ आपको  बेवकूफ़ समझा जा रहा हो | #असकरन_दास_जोगी

कौन प्रेम करे ?

 #कौन_प्रेम_करे ? अब ठण्ड नही है पूस की रात में  पता है क्यों ? क्योंकि कोई होरी जबरा को लेकर  अब खेत की रखवाली करने लायक रहा नहीं हीरा और मोती  दो बैलों से  कौन प्रेम करे ? झूरी जैसा किसान  अब मिलता कहाँ है जबरा बरसों से  भौंक ही रहा है  और होरी कहते फिर रहा है  हम किसान कल भी पीड़ित थे और आज भी हैं  कोई भी गया आज कल  अपने साथ हीरा मोती को  ले जाता नही  हीरा और मोती  झूरी के घर में ही  दाने-दाने को तरस रहे हैं प्रदेश में गौठान योजना फैल है  केन्द्र के किसान बिल का विरोध हो ही रहा है स्वामीनाथन कमिटी की सिफारिशें  बंद पड़ी है.... सरकारी कमरे में  जबरा कहीं न कहीं से  अपने लिए जुगाड़ कर लेता है  लेकिन...  किसान और बैल सुरक्षित कहाँ हैं ? #असकरन_दास_जोगी