जीवन पथ

 #जीवन_पथ


सूनी पड़ी है राह 

पलकें बिछी है 

सुबह से शाम तक 

जीवन पथ पर 


उनका आना 

कुछ इस तरह हो 

जैसे पहले बारिश से 

नहर में पानी आती है 

और महक उठती है मिट्टी


वह आये 

दिनभर दाने चुगकर 

घरौंदे की ओर 

लौटती चिड़िया की तरह


सुनो...

मैं उसे अपनी बाहों में 

समेट लेना चाहता हूँ 

ठीक वैसे ही 

जैसे शाम की सिन्दूरी सूर्य को 

बादल समेट लेता है


है प्रतीक्षा 

अपने साथी का 

जो जीवन पथ पर 

कदम से कदम मिलाकर साथ चले |


#असकरन_दास_जोगी

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