जागो

 #जागो 


सुबह तो होना ही है 

सुखद शाम की तलाश है 

यहाँ दिशा और दशा 

सब कुछ ख़राब है 


खुद की श्रेष्ठता के लिए 

यह कैसा दम्भ है 

बताओ जातिवादी...

क्यों औरों को हेय समझते हो ?


मन का भेद 

कौन मिटाए 

जो बाँट रखा है 

एक मानव को मानव से 

सुनो...यही तो 

शोषण का कारण है


यहाँ निरपेक्षता 

सिर्फ कागज़ों में भ्रमण करता है 

जानते हो...

मानवता रोज मरती है 

इन दम्भियों के कृत्यों में


ज्वार और भाटा सक्रिय हो 

उफान आनी चाहिए 

कब तक सहिष्णुता धारण करें ?

जागो...

अब तो व्यवस्था परिवर्तन हो |


#असकरन_दास_जोगी

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