अंतस के कोठी

 #अंतस_के_कोठी


दउरी फांदे कस रउंदत हे 

तोर सुरता हर 

मोर मन के पैर ल 


कोड़ियावत हे 

कलारी जइसे 

तोर मीठ-मीठ बात हर 

अउ रगबग ले दिखत हे 

मया के दाना हर 


का सच म 

मोला मिलही

अइसन मया के दाना 

या फेर ओसाय म...

पुरवई पा के 

बदरा बनके उड़ा जाही ?


बीजहा कस खनखन ले 

दगदग ले दिखही 

आस के कोठार म 

जब सकलाही 


होही कहूँ अइसन त 

रास रच के 

मोखला अउ गोंदा सजाके 

पानी परछन करत 

अंतस के कोठी म उतारहूँ |


#असकरन_दास_जोगी

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