मेलूहा-2
#मेलूहा-2
पानी पर मैं पानी लिखूँ
मुहब्बत की कई निशानी लिखूँ
हड़प्पा की वो लगे लिपि
कोई पढ़ न सके...
ऐसी कहानी लिखूँ
सिन्धु,सरस्वती और महानदी सा
निर्मल,शीतल और शौर्य प्रबल हो
प्रकृति का पर्याय
चमक उसकी इंद्रधनुषी हो
मेलूहा उसका नाम हो
बेख़बर सब फिर भी न अंजान हों
मशहूर हो दुनिया में
कि हर निगाह में उसके लिए ख़्वाब हो
सुनो...
सदियों बाद जब टीलों से
मखमल सी मिट्टी हटे
वो शोधकर्ता हैरान हो
उसके दांतो तले ऊंगली कटे
अक़्ल-ए-अतरफ़ के अश्व दौंड़े
जब देखे क़ल्ब-ए-जहान
कहे मेलूहा तुमसा नही
अनंत-अनादि सौन्दर्य की खान |
#असकरन_दास_जोगी
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