#वैभिचारिता_का_विष


कितना कठिन हो गया है 

महिलाओं को सम्मान देना 

और आबरू लूटना 

ऐसे जैसे पके अमरूद को तोड़ना

क्या यही सब विश्व को सिखलाओगे...?


पुरुषत्व का दम्भ 

कब तक दिखाओगे 

ख़त्म करो साहब...

वैभिचारिता का विष 


कुलदीप सेंगर के पक्ष में भी खड़े हुए 

आज 12 गाँव खड़े हैं 

चार बालात्कारियों के पक्ष में 

तुम्हारे वर्ण और जाति श्रेष्ठता 

क्या किसी बहन की आबरू से बड़ी है...?


दादा,पिता,चाचा और भाई

इनके स्वाभिमान को रौंदने के लिये 

सिर्फ बदला और झुकाने के उद्देश्य से 

यहाँ बहन,बेटी,पत्नी न जाने कितनी 

महिलाओं की अस्मत अस्त कर देते हैं

क्या यही आपके संस्कार हैं...?


अहिंसक समाज को 

हिंसा के लिए न उकसाओ 

क्यों मार रहे हो मानवता को

मर गया क्या तुम्हारा धर्म...?


न्याय और शासन 

अपने हाथ रखकर 

करते शोषण और राजनीति 

क्या यह नही है...भारत की अवनति...?


#असकरन_दास_जोगी

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