हमर-हरेली
हमर-हरेली
ये माटी धान के कटोरा कहे जाथे छत्तीसगढ़ नाव लेत साठ हरियर-हरियर भुईंया,खेत-खार,रूख-राई,भांठा-भर्री,परबत-पठार,नरवा-नंदिया आँखी म झके ल धर लेथे ! कोयली के कुहुक,मैना के आरो,पड़की के घुटुक, भरही के फरफरी, कऊंआ के कावं-कावं, कोकड़ा के कोक-कोक अऊ कोकड़ा के सादा रंग हमर छत्तीसगढ़िया मनके मन अऊ जिनगी म सादगी भरे खुसी भर देथे ! बन भईंसा के बेर्राई नवा जोस जगाथे गाय के दूध हमला सबल बनाथे अतका तो अतका संगी गोंदा के लटकाई छत्तीसगढ़ म समरिध्दि लाथे , छत्तीसगढ़िया गायक-गायिका मन गोंदा के कतका बखान करथैं कभू सिंगार करे बर, कभू मयारू बताके अईसने हाल दौना के हे जेकर पाना ल कान म खोंचथें छत्तीसगढ़िया मन, दौना के पान गाढ़ मया के संदेस देथे ! इही सब मन तो हमर छत्तीसगढ़ के हरियर धरती के चिनहारी आय अऊ ऐही सब ल देख के मन ह नौ मन नौ आगर हरियर हो जाथे अऊ मैना बनके गीत गाथे " टोरे डारा हरियर दौना के खोंच ले कान म...मैं होगेवं रे घायल जोही तोर मारे नैना बान म....
अईसन मया के गीत हमर माटी म रोज सिरजत हे अऊ ए माटी के पहिली तिहार "हरेली" हर आय ! हरेली अईसन दिन आय जब खेत खार हरियर हरियर माते रईथे किसान मन फुल के रस म मताये भौंरा कस लहलहावत धान , बोहावत मुही के नसा म झुमर-झुमर गीत गावत रईथें , मोर माटी रे गजब महान ..!कऊन बिधि करवं रे बखान ...!!
हरेली जब आथे त बियासी होगे रईथे धान मन झुमर झुमर के उपजाऊ माटी के किसा ल जन जन ल देखाथें ! छत्तीसगढ़िया किसान मन हरेली के दिन नागर,जुवाड़ी,नाहना,जोता, रांपा,कुदरी,टंगिया,बऊसला, लोहा के औजार अऊ खेती किसानी के औजार मन ल धो मांज के एक जगह रखथैं , बिहनहे-बिहनहे ल दईहान म जाके अपन गाय गरूआ ल तरिया लेजाके धोथैं ! गाय गरूआ ल खम्हार के पान संग नुन डारके खवाथें ! दईहान ल माटी लाके नांगर तिर राखथे जब गरूआ मन ओलिहाथैं ता कोठा म गाय गरूआ के पांव ल परछन करवाके घर म रांधे रोटी पिठा अऊ भात के जेवन जेवां के भोग चढ़ाथैं ! कोठा म नरियर फोड़के नांगर अऊ औजार मन मेरा हुमधुप जलाके नरियर फोड़के परसाद ल बांट बिराज के खाथैं ! छत्तीसगढ़ खेतीखार के परदेस आय अऊ ए हरेली ह हमर हरियर धरती के हरियाली के तिहार आय जे ह पुरा पुरा किसानी उपर अधारित हे ! बिहनहे ल गांव के रऊत हर घरो घर घुम फिर के लीम डारा ल दुवारी म खोंचथे जेकर ले घर म हरियाली के रंग अऊ बाढ़ जाथे ! चरवाहा रऊत ल जम्मे किसान मन अपन समरथ के हिसाब म चाऊंर दार , कपड़ा ओढ़ना घलो देथैं , हरेली हमर छत्तीसगढ़िया मन के सुख दूख बांटे के परब आय ! गली खोर गांव गांव हर हरेली के निसा म माते रईथे कतको तव नरियर फेकाऊल खेलथैं कोनो नरियर जीत के खुसी मनाथेैं त कोनो नरियर हारे के, छत्तीसगढ़ मया दुलार के परब आय हरेली ह ! नान नान लईका अऊ जवान टुरा मन बांस के डंडा काट के गेंड़ी बनाय के तईयारी करथैं ! जे गेंड़ी ल तीजा पोरा के आत ले चढ़के गीत गाथें ...चढ़ गेन रे बांस के गेंड़ी, झन गिरन सम्हाल रे गड़ी.....पानी म भिंग भिंग नाचबो, बदरा रानी मचाये हे झड़ी.....नान नान लईका मन ननपन के मजा उड़ाथें ! ए असाढ़ के महिना कभू बादर, कभू पानी, कभू सुरूज बटबट ले निटोर देथे त कभू इंद्रधनुस दिखते ! पानी गिरथे घाम करथे त देख के लईका मन कईथैं ....पानी गिरत हे , घाम करत हे कोलिहा के बिहाव होवत हे ....अईसन सबद अऊ गीत म छत्तीसगढ़ के रोम रोम म हरेली के हरियाली ह बिराजथे ! नरवा नंदिया पुरा आय लहरा मारथे जेमा महानदी,शिवनाथ,अरपा,पईरी,मांड,इब, जोंक, सोढूर सब नंदिया छत्तीसगढ़ के धरती ल उजाऊ बनाय बर धारे धार बोहाथे ! हरेली के तिहार म दाई दीदी मन छत्तीसगढ़ के जम्मे कलेवा ल बनाथैं ठेठरी,मुठिया,अईरसा,
अंगाकर रोटी, चिला रोटी, चौसेला, सोंहारी, बरा, फरा,भजिया, मालपुआ ! आरा पारा म नेवता देके एक दुसर के घर म भात-साग खाके नेवता हिकारी करथैं अऊ हरेली तिहार ल बने हली भली मनाथैं !
अईसन हरेली जिनगी भर आवय अऊ मया दुलार के रस ल सबके जिनगी म घोरय ! छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म हमन अपन जिनगी ल धन्य करन , रूख , राई, खेत-खार के हरियाली जुग-जुग राहय हम किसान मनके जिनगी सदा हरियर राहय ...
:-
उत्ती बुड़ती रकसेल भंडार होगे फरियर.
मोर छत्तीसगढ़ महतारी के लुगरा दिखे हरियर....
मोंगरा,गोंदा, सदासोहागीन, दौना महके रे.
झुमर झुमर नाचै मैना बधाई हे कहिके रे..
हमर हरेली के तिहार आये गावव गीत ददरिया.
करमा,सुआ,पंथी,बांस गीत राऊत नाचा घलो नाचव भईया..
मोर कोती ले सब छत्तीसगढ़िया भाई बहिनी मन ल हरेली के गाड़ा गाड़ा बधाई
जोहार छत्तीसगढ़
जय छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया
असकरन दास जोगी
Comments
Post a Comment