नंदावत हे सिक्का

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अब तक हमन सुनत रहेन के बघवा, भालू, सेर, हईरना, बन भईंसा, पहाड़ी मैना, मंजूर, गुड़रिया अऊ मईनखे के परजाति संग-संग बहूंत अकन जीव-जन्तु मन नंदावत हें जेकर ले हमर जिनगी ह परभावित होवत हे ! अऊ मईनखे मन अपन फायदा बर कतको रूख राई ल काट-काट के ऐहू ल नंदवा डारहीं तईसे घलो लागथे, भभिस के का होही बिधाते ह जानय !
फेर " नंदावत सिक्का "  बड़ अचरज लागथे,  ए बात सहीं घलो ताय ! आजकल  बस मन म हो या आटो म, रईपुर इस्टेसन ले दोंदेखुर्द बर बस चढ़बे त ऊहां ले किराया पंदरा रूपिया चिलहर नईहे त बीस के लोट देबे, बस के कन्डक्टर ह चिलहर नईहे कईके जम्मे बीस रूपिया ल रख लेथे पांच रूपिया ल नई बहुरावय ! बेलासपुर ले रईपुर के टिकस लोकल टरेन म पैंतीस रूपिया , टिकट मास्टर ल पचास के लोट देबे त दस रूपिया ल ही बहुराथे चिलहर नईहे कईके पांच रूपिया दबा लेथे ! कोनो किराना दुकान म, पान ठेला म, मेडिकल स्टोर्स म, सब्जी बजार म, पेट्रोल पम्प म, मोबाईल रिचार्ज सेंटर म , होटल म आय दिन एक रूपिया, दू रूपिया, पांच रूपिया के चिलहर बर झगरा-ठेनी अऊ बाच चित हो जाथैं !
ए बैपारी मन एक रूपिया, दू रूपिया, पांच रूपिया के चिलहर तव नई देवयं फेर ओ चिलहर के चक्कर म यात्री अऊ समान बिसईया ल चाकलेट देथैं चिलहर के जगा म अब बता समान लेवईया कईसे नई बऊछाही !  गरीब मईनखे कमा कुद के रूपिया जोर के जिनगी चलाथे अऊ ओहू म महंगाई परेतिन जगर बगर बरत सब गरिब ल फांसे परत हे, पाकिट म एक रूपिया नई बांचत हे अईसन दूरदसा माते हे ! चिलहर के नंदाय के चक्कर म जेन समान नई बिसाय बर राहय तेनो ल बिसाय ल पर जाथे त अईसना ह अकताहा उदाबादी होथे गरीब मईनखे बर !

थोकन सिक्का/रूपिया के इतिहास ल घलो देख लेथन, ए ह कईसे चालू होईस एकर बारे म जान लेथन ! इतिहासकार अऊ सियान मन कईथैं पहिली तो समान के बदला म समान लेन देन करैं मुदरा के कोनो चलागत नई रहिस फेर मनखे मन के बिकास के संग-संग मुदरा/रूपिया के जरूरत परिस होही अऊ एला सिरजाईन होहीं ! इतिहासकार मन कईथैं लगभग चौथी अऊ छठवी ईसा पहिली मुद्रा/रूपिया के निरमान होईस भारत म ! अऊ एक ठन बात रूपए सबद के अरथ " रूपा " सबद ल ले जाथे, जेकर अरथ " चाँदी " होथे ! संस्कृत म "रूप्यकम्" के अरथ चाँदी के सिक्का होथे !  एहू बात ल जान लेथन सन् १५४०-१५४५ के बीच भारत म सेरसाह सूरी हर चाँदी के सिक्का निकालीस जेला रूपिया कहिन अऊ जेकर भार ११.३४ गराम रहिस ! बहूंत पहिली पराचिन बेरा म मुदरा/सिक्का ल सोना,चाँदी,तांबा, कांसा के बनात रहिन फेर आज के बेरा म सिक्का बनाय बर सीसा,लोहा,एल्युमिनियम अऊ निकल ल तको डारे ल धर ले हावैं ! पहिली के बेरा म तो सोना,चाँदी के सिक्का ल जादा महातम देवैं ! भारत म लोट छापे अऊ सिक्का बनाय के टकसाल(कारखाना) कलकत्ता, मुम्बई, हैदराबाद, नोएडा अऊ उत्तर परदेस म हे ! अभी वर्तमान म हमर भारत म एक रूपिया, दू रूपिया, पांच रूपिया, दस रूपिया के जादा सिक्का बनथे अऊ ओहू सिक्का मन म जमाखोर मन के आँखी ह गड़ गे हे, अब बता भला कोन गरीब मनखे उबरे सकही इंकर ले !

सिक्का के नंदाय के कारन :-
      
१ सिक्का के नंदाय म गिलट जईसन धातु के कीमत बाढ़ना ह बड़का कारन हे, काबर की गिलट से सिक्का बनाय जाथे !
२ बैपारी मन ए सिक्का ल गलाके धातु ल निकाल के जादा किमत म बेंचथैं !
३ सिक्का म गिलट, निकल, ताम्बा, सोना, चाँदी, कांसा, सीसा, लोहा, एल्यमिनियम बनेच कन धातु मिले रईथे जेकर ले जमाखोर मन एकर धांधली करके सिक्का के खिलौना, एंटीक आईटम, आर्टिफिसियल जेवर,  बिजली संयंत्र, कंडेसर पाईप अऊ पेट्रोकेमिकल्स बहूंत अकन समान बनाय बर सिक्का ल गलोय के काम करथैं, बांग्लादेस, नेपाल म सिक्का ल गला के ब्लेड अऊ फॉऊंटेन पेन बनाय जाथे ! एक रूपिया के सिक्का ले छय,सात ब्लेड बन जाथे जेकर किमत पैतीस बांग्लादेसी " टका " होथे अऊ अईसन कारन के खातिर बजार ले सिक्का नंदावत जात हे ! 
४ गांव-गांव सहर-सहर म जम्मे चिलहर सिक्का मन ल भुड़भुड़िया घलो म जमा करथैं , एहू ह एक गायब होय के कारन आय ! 
५ यात्रा के दौरान कतको यात्री मन टरेन अऊ बस म ले जब कोनो नंदिया मेर ले गुजरथैं त जल देवता ल परनाम करके सिक्का ल ओ नदिया म डार देथैं जेकर कौऊनो उपयोग नई हो पावै !
६ बैपारी मन जादा फायदा कमाय बर चिलहर रईके घलो नई देवयं जेकर ले समान लेवईया ल अकताहा समान जबरन के ले ल पर जाथे ! 
७ जोधपुर, जयपुर, कोटा, उदयपुर, अजमेर जईसन कईठन सहर म आज सिक्का के कालाबाजारी चलना एहू परमुख कारन आय !

सिक्का मन के अनुमानित फायदा गलोय के बाद :-
१ एक रूपिया के एक किलो सिक्का के किमत ३३३-५५५ रूपिया मिल सकत हे , फेर एेला गलोय के बाद एकर धातु निकाल के बेंचबे त ढ़ाई हजार रूपिया तक मुनाफा मिल सकत हे !
२ दू रूपिया के सिक्का के भार छय गराम होथे अईसन पांच सौ सिक्का के मुल्य एक हजार रूपिया होथे ! फेर ए पांच सौ सिक्का ल गला के तीन किलो गिलट निकाल सकत हें , जेकर किमत एक हजार रूपिया प्रति किलो पाय जा सकथें , सिक्का के अंकित किमत ले तीन गुना फायदा मिलथे जेकर फायदा जमाखोर अऊ कालाबाजारी करईया मन उठावत हें ! 
३ पांच रूपिया के जुन्ना सिक्का के भार नौ गराम होथे जेमा साठ सिक्का के किमत भारतीय मुदरा म तीन सौ रूपिया हे फेर ऐला गलो के धातु निकाल के बेंचबे त छय सौ रूपिया कमाय जा सकथे ! फेर बैपारी मन ल दू रूपिया के सिक्का ल गलो के धातु बेंचे म सबले जादा फायदा हे !

देस म २०१० ले पहिली बने तीस परतीसत सिक्का ही चलन म हे ! रिजर्व बैंक हर बड़ अकन सिक्का जारी करिस तभो ले भारत के बजार ले सिक्का गायब होथे ! २०११ बछर म लगभग ११.१२ लाख सिक्का परचलन म रहिस फेर २०१२ म इंकर संख्या हर कम होके ७.८ लाख होगे ! पहिली तो एक रूपिया, दू रूपिया के सिक्का गायब होवय फेर अब तो पांच के सिक्का अऊ दस के लोट घलो हर बट्टा म ले ल पड़ जावत हे ! भारतीय रिजर्व बैंक हर २००५ के पहिली छपे ५०० अऊ १,००० के जम्मे लोट ल बहुराय के फईसला लिस १ अप्रैल २०१४ ले सब झन मन बैंक जाके नव लोट लेके आत गीन , भारतीय रिजर्व बैंक के अईसन-अईसन उदिम करे के बाद घलो चिलहर के कमी ल पुरा नई करे जा सकत हे ! आर.बी.आई. के अनुसार सेक्सन २४६ अऊ २४७ के तहत सिक्का के संग छेड़खानी  वजन कम करई या अाने तरह के उपयोग करे म बहूंत बड़े कड़ा सजा के प्रावधान हे  तभो ल जमाखोरी अऊ कालाबाजारी करईया मन उपर शासन नियंत्रण नई रख पावत हे सरकार ल ए दिसा म बने ठोस कदम उठाय के जरूरत हे ! ए परेसानी हर भारत के जम्मे राज्य म हे एकर ले हमर छत्तीसगढ़ नई छूटे हे , सिक्का के गायब होवई बहूंत चिंतनीय हे  ! सब राज्य म जमाखोर मन के जाल फईले हे जिहां ले सिक्का ल चोरीलुका बिदेस तको बेंचे घलो जावत हे ! अईसन बैपारी मन फायदा कमावत हे अऊ हमर देस, राज्य के जनता मन चिलहर के किल्लत म घाटा म बोजावत हे सरकार ए दिसा म धियान देवय हर राज्य म ए समस्या बर कड़ा कानून बनावय अलग से अऊ सक्रिय होके देस के धन के दूरपयोग अऊ बिदेस भेजे के जेन कारज करत हें जमाखोर मन, तिंहला रोक लगावय !

असकरन दास जोगी " अतनु "
ग्राम : डोंड़की (बेल्हा)
मो.नं. : 9770591174

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