विद्रोही

*विद्रोही*

कहो तब तो कुछ बात बने भाई!
यहाँ जीवन हैं कुँआ और खाई !!
दबाकर जिभ्या मित्रों क्यों आये !
शहर है गाँव नही  अनुनय लाये !!
पत्र से सबके लिए पतन चुनेंगे!
करो शोर तब लोग माँग सुनेंगे !!
दमन होते नीत क्रांत्ति तुम जानो !
चाह नही अब शांत्ति मन में ठानो !!
ज्वालामुखी के मुख लावा छोड़ो !
कुशासन के आधार स्तम्भ तोड़ो !!
समय नही लो मशाल और भागो!
विद्रोह करो विद्रोही तुम जागो !!1!!

नेह यहीं त्यागो स्वजन होने में !
क्षमा क्यों विश्वासघात करने में !!
घोर गरीबी यहाँ हम क्यों ढ़ोते !
जात-धर्म से नीत पीड़ित होते !!
व्यवस्था जर्जर बना भारत रोता !
शोषक जागते हैं शोषित सोता !!
नेता चतुर चंचल चाल चले रे !
भ्रष्टता का पूत देखो पले रे !!
महानदी से अब उड़ेलो पानी !
नष्ट करो पाप नव गढ़ो कहानी !!
समय नही लो मशाल और भागो !
विद्रोह करो विद्रोही तुम जागो !!2!!

देखो तुमसे अधिकारें छिने हैं !
मिला जो वह भी कुछ गिने चुने हैं !!
शिक्षा में समता चलाना होगा !
रोजगार नव लव जलाना होगा !!
मेहनत का बैहतर मूल्य पाना !
लक्ष्य रखो तुम स्वाभिमान जगाना !!
नारी-नर में भेद-भाव मिटाओ !
मानवता के पुन्य पुष्प खिलाओ !!
न्याय का समता हक अब लेना है !
लोक जागरण संदेश देना है !!
समय नही लो मशाल और भागो !
विद्रोह करो विद्रोही तुम जागो !!3!!

दमन की दाब से दहाड़ निकालो !
शमन हो शोषण का युक्ति निकालो !!
जन-जन में भ्रांत्ति है क्रांत्ति कराना !
धीरज नहीं मित्र अधीर बनाना !!
पेट का भूँख रोज हमने देखा !
यूँ ही है हाँथ में दुख का रेखा !!
व्यापार का भेंट क्यों चढ़ा खेती !
मजदूर बने किसान आन लेती !!
जागो हलधर मित्र देश जगादो !
अन्यायी को भारत से भगादो !!
समय नही लो मशाल और भागो !
विद्रोह करो विद्रोही तुम जागो !!4!!

धारा-कानून का अलख जलालो !
संविधान का संरक्षण बनालो !!
छल बल दल का मित्र तोड़ो घेरे !
न्याय प्रिय हो शोषित साथी मेरे !!
छला गया प्रत्येक गरीब जागो !
लोक अधिकार के लिए प्रश्न दागो !!
हो जाने दो तहलका का मेला !
मीट जायेगा शोषण का खेला !!
तोड़ो उनके फैले दुर्ग सारे !
असहाय करो दोषियों को प्यारे !!
समय नही लो मशाल और भागो !
विद्रोह करो विद्रोही तुम जागो !!5!!

*रचनाकार : असकरन दास जोगी*
ग्राम:डोंड़की,पोस्त+तहसील:बिल्हा,जिला:बिलासपुर(छ.ग.)
मो.नं.: 9340031332
www.antaskegoth.blogspot.com

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