कैसी ये ज़िन्दगी?
*कैसी ये ज़िन्दगी*
रंग नही रूप नही
धूप ही धूप है
कैसी ये ज़िन्दगी
करेले का सूप है..!!1!!
अंश नही वंश नही
दंश ही दंश है
कैसी ये ज़िन्दगी
टूटा हुआ कंश है !!2!!
मूल नही फूल नही
धूल ही धूल है
कैसी ये ज़िन्दगी
चुभता हुआ शूल है !!3!!
तंज नही गूँज नही
रंज ही रंज है
कैसी ये ज़िन्दगी
पीर का पुञ्ज है !!4!!
दाग नही झाग नही
घाग ही घाग हैं
कैसी ये ज़िन्दगी
आस की आग है !!5!!
हाथ नही नाथ नही
अनाथ ही अनाथ है
कैसी ये ज़िन्दगी
छूटा हुआ साथ है !!6!!
ढोंग नही रोग नही
जोग ही जोग है
कैसी ये ज़िन्दगी
अँधेले का भोग है !!7!!
मोल नही झोल नही
अनमोल ही अनमोल है
कैसी ये ज़िन्दगी
ग्लोब सा गोल है !!8!!
पाप नही पुन्य नही
धन्य ही धन्य है
कैसी ये ज़िन्दगी
सार ही शून्य है !!9!!
*रचनाकार:असकरन दास जोगी*
मो.नं. 9340031332
www.antaskegoth.blogspot.com
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