प्रणय निवेदन 2

*प्रणय निवेदन 2*

अलबेली नैना
बावरी
अपलक तुम्हें
निहारता
*ओ चितचोर*
वर दे दो नेह का....!

जिस क्षण से
दृष्टि में आए
मेरी सृष्टि
सौंदर्य से
चमक उठा
*देखो मनमीत*
मन जो हरण है
करलो तुम वरण......!!

नव स्वप्न
खिला
पुष्प बनकर
इन खुली आँखों का
इसमें
दोष क्या ?
*हे ! प्रीतम*
मेरी भावनाओं को
समझो तो .....!!!

चंद्र सूर्य से
नैन वाले
वक्ष विशाल
मदन रूप मतवाले
ओ सदाचारी
ओजस्वी, तेजस्वी
*सुनो-सुनो..ह्रदयराज*
मेरा यह प्रणय निवेदन.......!!!!

अभाव छँट गया
तेरे प्रभाव से
यौवन झूम रहा
तुझे पाने,
करलो आलिंगन
न भेद रहे
तुझमें और मुझमें,
छ: दर्शन के
सत दर्पण दो
*ओ अतनू*
जीवन पर्यंत का समर्पण दो....!!!!!

आस यही
तुमसे रखता हूँ
रूप नही
गुण पे तेरे मरता हूँ
विचलित न हो
धैर्य से निर्णय लो
मेरे प्रणय निवेदन को
ह्रदय से स्वीकार करो......!!!!!!

*रचनाकार:असकरन दास जोगी*
मो.नं. 9340031332
www.antaskegoth.blogspot.com

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