मैं युवा हूँ

*मैं युवा हूँ !*

एक क्षण में
धधक जाता हूँ
एक पल में
शांत हो जाता हूँ
कैसी ये कामना
एक क्षण में मैं
बहक जाता हूँ
है बेफिक्री
लक्ष्य पे
संकल्पित नही
जो-जो राह दिखे
मैं पथ वही धरता हूँ
हो जाता
क्यों अज़नबी
क्षण भर में मैं
भटक जाता हूँ
तुम
समझ सकते हो
यह असमंजस
इसमें
मेरी अल्हड़ता का
कोई दोष नही.
यकृत की अग्नि हूँ
हर बात
पचा सकता हूँ
जो राष्ट्र हित पे न हो
तब क्रांत्ति
कर्म चूनता हूँ
शोषण
स्वीकार नही
शोषित का हूँ
मैं आवाज
अधिकार के लिए
हुँकार कर
विद्रोह का
भरता हूँ मैं राग
पराधीनता
मुझे भाता नही
समता स्वतंत्रता
यही मेरी चाह
मेरी भुजाओं में
सामर्थ्य है राष्ट्र का
हिमालय सा
ह्रदय है
नभ सा हूँ मैं
विशाल
मित्र के लिए
प्यारा
परंतु
शत्रु के लिए काल
ना बचपन
ना बुढ़ापा
ओज की
चादर ओढ़े
जीवन का हूँ सौन्दर्य
प्रेम करुणा
अधीर गम्भीर
साहस में हूँ
मैं मूर्धन्य
पहचानो तो मुझे
हूँ मैं कौन
देखो जरा गौर से
मैं युवा हूँ !

*रचनाकार:असकरन दास जोगी*
मो.9340031332
www.antaskegoth.blogspot.com

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