कुंतल

*कुंतल*

जब भी
सम्मुख आए
आपके व्यक्तित्व
की महक
पाया हमने
आपको देखकर
हमें प्रसन्नता होती है...!

इतनी सुंदर छवि
चन्द्र आभा लिए
भद्र भाव का
दर्शन पाया हमने
इस आकर्षण पर
मोह नही
सम्मान जागा ह्रदय में....!!

आप रचना रचती हैं
मन से निकली
भावों की
आपकी कविता में
नवीनता मिला हमें
आपकी सफलता पर
गर्व है हमें.....!!!

कीचड़ में
कमल खिलता है
यह वाक्य सबको ज्ञात है,
अभावों में प्रतिभा
जन्म लेती है
यह सबके दृष्टि में है,
परंतु आप में
इन दोनो के प्रतिमान
प्रस्थापित है ..!!!!

यूँ तो कई बार मिले
आदर और सम्मान
तब भी और अब भी
था है रहेगा
आपको महसूस
होता ही होगा....!!!!!

बस आज
दर्शन हुआ
जो पहले
दृष्टि से ओझल था
सच कहूँ ...
वे आपके *कुंतल* हैं
जो श्यामल मेघा से
प्रतीत हो रहे हैं.......!!!!!!

रचनाकार:असकरन दास जोगी
मो.नं. 9340031332
www.antaskegoth.blogspot.com


Comments

Popular posts from this blog

दिव्य दर्शन : गिरौदपुरी धाम(छत्तीसगढ़)

पंथी विश्व का सबसे तेज नृत्य( एक विराट दर्शन )

खंजर