दादा जी! की मैं छड़ी
*दादा जी! की मैं छड़ी*
दादा जी! की मैं छड़ी !
दूर नही पास खड़ी !!
पग-पग चलती साथ !
हाथों में लेकर हाथ !!
छोटा मुँह बात बड़ी !
दादा जी! की मैं छड़ी !!...
स्नेह पाती मैं खूब !
सेवा में मैं जाती डूब !!
मेरी खुशी नही तारे !
दादा जी! लगते प्यारे !!
बाल कहानियों की लगाते लड़ी !
सब सुनती मैं गोद में पड़ी-पड़ी !!..
मम्मी-पापा व्यस्त रहते !
दादा जी! और मैं मस्त रहते !!
बाग-बगीचा की करते शैर !
हमको नही किसी से बैर !!
खेल और पढ़ाई से जुड़ी कड़ी !
दादा जी! की मैं छड़ी !!...
*रचनाकार:असकरन दास जोगी*
मो.9340031332
www.antaskegoth.blogspot.com
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