दोहा(हिंदी)

*दोहा*

धनवानों के हाथ में,शासन सत्ता आज !
संविधान है कैद में,शोषक करते राज !!1!!

खौफ मचाये देश में,कैसा है यह जाल !
देश भक्त खुद को कहें,मानवता का काल !!2!!

संविधान जलता रहा,चढ़ा भेद का भेंट !
नेता तो चुपचाप हैं,मिडिया का है फेंट !!3!!

देश द्रोह है जानते,फिर भी ऐसा कार्य !
शासन उनके हाथ में,कहते खुद को आर्य !!4!!

नैन द्रवित दुख लाख है,घृणा क्लेश की मार !
भेद-भाव में क्या रखा,रखो प्रेम जल धार !!5!!

घड़ी-घड़ी से खेलता,साहस लगता शक्त !
माद्दा रखता है बड़ा,इससे डरता वक्त !!6!!

जिसे नचाये वक्त रे,होगा कोई और !
युवा जगे जब देश में,इनका चलता दौर !!7!!

नायक देखो खेत का,भोगे कितना कष्ट !
सपने-सपने हो गये,जीवन होता नष्ट !!8!!

बढ़ी महंगाई यहाँ,ढ़ीली होती जेब !
दीन काल के गाल में,धन्ना खाते सेब !!9!!

अधिग्रहण में भूमि को,लूटा आस विकास !
कैसा दिखता अंग से,आया नही प्रकाश !!10!!

ज्ञान दान गुरु से मिले,साँई है सतनाम !
चेला पारस सा लखे, जीवन तब सुख धाम !!11!!

नारी नर से त्रस्त है,वर्तमान का हाल !
कामी लूटे लाज रे,दुनिया है बेहाल !!12!!

शांत्ति पुष्प की खोज है,कोलाहल में जीव !
मनका-मनका टूटता,जर्जर तनका नीव !!13!!

*असकरन दास जोगी*
मो.नं. 9340031332

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