प्रेम ही है
*प्रेम ही है*
मेरा प्रेम
आकर्षण से
जन्म नहीं लिया
जो यह दूरियाँ
तुमसे मुझे
विलग कर दे
सच कहूँ तो
इस प्रेम का
अवतरण हुआ है
और वह भी
आत्मा की
अनहद अनुभूति से
सुनो.....
यह उम्र का
उत्पात भी नहीं है
जो कुछ दिनों में
तूफान बनकर
शांत हो जाए
मुझे अच्छे से
स्मरण है
संदर्भ देना चाहूँगा
उस क्षण को
जब तुमने मुझे
कहा था
चलोदूरी
आने दें
हमारे बीच में
वक्त ही
फैसला करेगा
यह प्रेम है
या....
आकर्षण
मैने...ह्रदय से
स्वागत भी किया
इस प्रसंग में
मेरा पक्ष
बस इतना ही है
मैं दूरियाँ
झेल रहा हूँ
पर आकर्षण का
शिकार नहीं
सुनों...
आज भी
तुमसे बात करके
या चैटिंग करके
वैसा ही एहसास
होता है
जो पहले
तुमसे मिलने पर
होता था
हम आज भी
अच्छे मित्र हैं
इसकी खुशी है
लेकिन....
कल और आज में
एक बड़ा
फर्क है
कल हम दोनों
एक नाव में
बैठे थे
और आज
तुम रोजगार रूपी
मोरनी पर सवार हो
तुम आजाद हो
कहीं भी
उड़ सकती हो
परंतु मैं....
बेरोजगारी रूपी
चूहे पर बैठा
भविष्य गढ़ने
आशाओं के
हथियार लिए
संघर्ष का सुरंग
खोद रहा हूँ
देखो मुझको
सफलता का सुख
ढूँढ़ रहा हूँ
मैं विचलित हूँ
और चिंतित भी
की....
जो दूरियाँ
कर न सकी
वह काम
कल और आज का
यह फर्क
न कर दे
मेरे प्रेम को
मौन, स्तब्ध
या फिर......
मृत ही
घोषित न कर दे
सुनों......
आकर्षण नहीं
प्रेम ही है
मेरा प्रेम |
दिन-मंगलवार
दिनाँक-04/09/18
समय-09:00
असकरन दास जोगी
मो.9340031332
www.antaskegoth.blogspot.com
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