पावन पिरीत
पावन पिरीत
फेर नैन के
जकनी बान चले
नइ बांचै मन
छंदाके रइही
छांद बड़ा गजब
माचा के बाना धरे
मेकरा जाला तो
बस नाँव के
आँटत हे घेरा
आस के आँच परे
वो आखर आय
आरो ले निकलथे
वो मया आय
हिरदे ले बगरथे
बसथे सबके अंतस
वोकर बिना
हंसा कइसे रइही
न रंग हे
न रूप हे
देख जनाही
तभे तो चूप हे
सब जानथैं
एकर हाल
सुरता ठोंकथे
जेकर ताल
जेन फंसगे
तेन छटपटाथे
ओला चैन कहाँ
बेचैनी सुहाथे
मयारू मिलन बर
भुर्री बरही
हंसा के छँइहाँ
जब हंसा म परही
देख लेहव
दगदग ले मया दिखही
तब तो दुनिया
पावन पिरीत सिखही |
असकरन दास जोगी
मो.9340031332
www.antaskegoth.blogspot.com
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