अवसर तो मिले

अवसर तो मिले

पंख हमें भी
लग जाने दो
उड़ेंगे खुले
आसमान में
संकोच झिझक
को तोड़ते
लड़ेंगे हम अपने
आत्म सम्मान में
कौंशल हममें भी है
कोई पारखी परख तो कर लें
आत्म विश्वास की भुजाओं में
गज का बल हम भी भर लें
प्रतियोगिता
हम भी जीत सकते हैं
कोई मंच तो मिले
होंगे स्वर्ण पदक
अपने आँगन में
पर अवसर तो मिले
साहस माँगता जंग है
बाधक धन नहीं
देखो दिव्यांग अंग है
हमारा मन नहीं |

असकरन दास जोगी
मो. 9340031332
www.antaskegoth.blogspot.com

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