यहाँ राजतंत्र है

यहाँ राजतंत्र है

त्राहि त्राहि
चहुँ ओर है
बंदर बना शासक
करता करतब
घनघोर है
दमन पे दमन
अंतर्मन से
निकलती आह !
सेना किसान
नारी अस्मिता
बनती जा रहे हैं दाह
सत्ता का नियंत्रण
निशाचरों के हाथ में
वो तन से गोरे
और मन से काले
रहते हैं
धनवानों के साथ में
तानाशाही
करते खूब
लगते हिटलर के अंशज
जनता अभी हारी नहीं
ये भी हैं मानवता के वंशज
तोफचंद चाल चले
दिखावे को गले मिले
भ्रष्टाचारी ये
शोषण इनका
मूलमंत्र है
लोकतंत्र गया तेल लेने
यहाँ राजतंत्र है |

असकरन दास जोगी
9340031332
www.antaskegoth.blogspot.com

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