चँदा दिखथे रोटी कस
चँदा दिखथे रोटी कस
अक्ति के बोनी बितगे 
हरेली के बियासी 
लाँघन-भूखन पोटा जरत
कोन मेर मिलही भात तियासी
देवारी बर लुवई-टोरई 
मिस के धरलीन धान 
खरवन बर रेहरत रहिगेन
गौटिया मन देखाइन अपन शान
जन-जन खाइन 
मालपुआ फरा ठेठरी 
नइ खुलिस हमर बर 
ककरो गठरी 
गाँव म घर नहीं 
न खार म खेत 
चँदा दिखथे रोटी कस
कर लेतेव कोनो चेत |
असकरन दास जोगी 
9340031332
www.antaskegoth.blogspot.com
 
Comments
Post a Comment