बैसुरहा देवाना-01
*#बैसुरहा_देवाना-01*
गोटारन कस आँखी तोर
दिखथे बटबट ले
कइसे भर जाही
ए मन बइरी
गजब के थोथना
छेना कस गोल चाकर
निहारँव...आँखी धो-धो के....
वो तमहूँ चूंदी
जोंधरी कस जटा
जटबट ले
हाय रे गोलईंदा!
तैं कोंहड़ा कस कटकट ले
का हारबे तैं हिरदे...
कतको जीथैं
तोर मया म मर-मर के....
गहूँ लजाथे
देख के तोर रंग
झूमरत रहिथच
बंझोरी बोइर कस
पुरवाई के संग
का खेलबे ककरो जिनगी ल...
तैं बाहिर-भीतर ले
बेल आच बेल....
रास म माढ़े धान जइसे
गोंदा,मोखला,चिरईयाँ डराये
तोर अन-धन अउ मन
थोकिन सुन तो...
नरवा के पानी ले
फरक नइ परय...तोर बानी....
उदंत हवच वो बछिया कस
जेन छूवत म मारथे लटारी
सुन न...
मान लेते अपन बैसुरहा देवाना के कहना
तोर अंतस के बारी म
कभू झन कोड़बे घुरवा
हमर मया के योजना गंधा जाही
ए मोर बुंदेला,करौंदा मोर मोंगरा...|
*#असकरन_दास_जोगी*
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