हम-दोनों-03

*#हम दोनों-03*

मन कह रहा था
फिर लौट कर मिलूँ
वही सिलसिला फिर होता
हम दोनों में
एक दूसरे को देखकर
मुस्कुराते
आँखें मिलती
हाथ मिलाते
और
ख़ैरियत की बात करते
कोसो दूर से मिलने आना
बस दो-पल में बिछड़ जाना
बड़े बेचैन थे
हम दोनों
वह जल्दबाजी
क्यों थी ?
मिलना भी तो
उन्हीं से था
वो रूकने के लिए
बोल रही थी
मैं न कहकर आ गया
कुछ पल और
गुफ़्तगू करना चाहते थे
हम दोनों
कुछ लोग देख रहे थे
न जाने क्या सोंच रहे थे
मुझमें
संकोच यही था
फिर मिलने की आस है
जुदा होकर भी
मन ही मन में
एक दूसरे को
याद कर रहे थे
हम दोनों...!

*#असकरन_दास_जोगी*

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