हम-दोनों-08

*#हम_दोनों-08*

फिर लौट आया वसंत
बौराये-बौराये से
लगते हैं हम
कुछ खिल रहे हैं
कुछ महक रहे हैं
तुम्हारा ही असर है
बदले-बदले से हैं हम
मैं तो अटक गया था
पतझड़ में
तुमने सावन बनकर
मेरा रोम-रोम भीगा दिया
तुम्हारे दौर से
गुज़र गया हूँ मैं
एक संकोच में
फंसा था
तुमने नज़र से नज़र मिलाकर
मेरा उम्र घटा दिया
सुनो दूरियों को
दूर करते हैं
हम दोनों
एक कदम तुम बढ़ाओ
एक कदम मैं बढ़ाऊँ
चलो दो से एक
हो जाते हैं
हम दोनों.....!

*#असकरन_दास_जोगी*

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