हम-दोनों-09

*#हम_दोनों-9*

तुमसे बात कर सकता हूँ
पर वह बात नहीं है
तुम्हें छू सकता हूँ
पर वह एहसास नहीं है
नज़रें चुराना या नज़रें मिलाना
यह बात अलग है
हम एक दूसरे को देख सकते हैं                  लेकिन नज़र से नज़र मिलाकर
रूह तक झाँक सकते नहीं हम
किन बंदिशों में बाँध रखी हो
हर हाल जानकर भी
मेरी ज़ुबान से
दिल का हाल सुनना
नहीं चाहती
अय वक्त
कुछ तो करामात कर
एक-दूजे के बिना
रह नहीं सकते
हम-दोनों |

*#असकरन_दास_जोगी*

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