मृत्यु-1
*#मृत्यु-1*
पता नहीं
मृत्यु के पश्चात्
सुख और शांति
मिलता भी है या नहीं
लेकिन इसे
हर कोई मानता है
मृत्यु जीवन का
अंतिम सत्य है
जो आता है
वह जाता ही है
आगे जीवन की कल्पना
हास्यस्पद है
मृत्यु धीरे-धीरे आती है
या फिर...
किसी के लिए
यकायक ही प्रत्यक्ष हो जाती है
कोई चाहकर भी
इसे रोक नहीं पाता
श्वास का रूकना
आँख का बंद होना
धड़कन का थम्हना
रक्त के बहाव का बंद होना
और शरीर का एक-साथ
चेतन से अचेतन में जाकर
अचल हो जाना
यही तो मृत्यु है
साधारण मृत्यु
सभी देख पाते हैं
परंतु जीते-जी मरना
क्या होता है
कुछ लोग ही
जान पाते हैं
और इसका शिनाख़्त होना
कोई आसान बात नहीं है
मृत्यु जब भी आती है
इच्छाओं,सपनों
और जीवन की
समस्त खुशियों को
देखते ही देखते
मार डालती है
कभी मृत्यु घृणित लगती है
तो कभी प्यारी होती है |
*#असकरन_दास_जोगी*
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