आखरी इच्छा

*#आखरी_इच्छा*

किडनी और लीवर
डैमेज है
कैंसर से जूझ रहा हूँ
सिकलिंग
इतना बढ़ा की
रक्त कण बनने से रह गया
डायलिसिस हो चूका
तीन बॉटल
ए पॉजिटिव ब्लड
मेरे धमनियों में
समाहित कर दिया गया
फिर भी राहत नहीं
गलती यही है
किशोर अवस्था से
गुड़ाखू,तम्बाखू और सिगरेट
मेरा सौंक रहा
माँ-बाप टोकते थे
पर मैं रूका नहीं
इस लिए आज
टूटने के कगार पर हूँ
ओ....मेरी धर्मपत्नी !
आपको अभी
मेरा साथ छोड़कर जाना था ?
आपके और मेरे
विवाह से पूर्व ही
आपके पिताजी!
यह जानते थे
मैं नि:शक्त,असहाय,विकलांग
नव-चलागत में कहूँ तो
एक दिव्यांग हूँ
आपने भी तो
देखा ही था
आज उनकी इच्छा से
आपने मेरी बेटी को भी
मुझसे दूर कर दिया
जो महज पाँच वर्ष
की ही है
पापा-पापा कहकर
वो रोती होगी
किस तरह से
आप उसे शांत करती होंगी
मेरे बिना वह रह नहीं सकती
और मैं भी
आपके और उसके बिना
नही रह सकता
यह आप
अच्छे से जानती हो
जब मेरा साथ छोड़ना ही था
तो एक बार बोल देती
पर बिना बताए
इस हाल में
छोड़कर जाना
कुछ अच्छा तो नहीं
शायद आपको उचित लगा हो
वैसे भी मैं
दुनिया छोड़ने वाला हूँ
क्या शिकवा करूँ
ससुराल गया था
सासू माँ बोली
वो तो यहाँ आई नहीं
रिश्तेदारों से भी पूछा
पर कोई ख़बर नहीं
हॉस्पीटल के बैड में
आखरी दिन का
अब इंतजार है
आखरी इच्छा यही है
आपको और मेरी प्यारी बेटी को
आखरी बार
एक नज़र
देखना चाहता हूँ
फूट-फूटकर
रोना चाहता हूँ |

*रचनाकार:असकरन दास जोगी*

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