मेरे साथ
*#मेरे_साथ*
कल्पना में
भविष्य नहीं गढ़ना चाहता
सुनों तो मनटोरा...!
मैं कल्पना में
पीछे लौट कर
उन्हीं लम्हों को
फिर से जीना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ
इमली फूल को
तोड़ कर
रख दूँ
फिर उन हाथों में
वे हरे,लाल,पीले रंग
चमक उठे
तुम्हारे अधरों में
मुस्कान बनकर
सुनों न...
मुझे वही एकांत चाहिए
तुम्हारे साथ
यह भी सुन लो
परिस्थिति या समय
भविष्य में
जो भी खेल खेले
किन्तु मुझे जीना है
वर्तमान में...
तुम्हारे साथ
अपने प्रेम को
शब्दों में ढ़ालने से
कोई नई बात नहीं लगती
लेकिन अपने प्रेम को
बरगद,इमली या फिर
पीपल का पेंड़ कहूँ तो
कुछ तो नया लगेगा
तब शायद...
तुम्हें भी इच्छा हो
जीने का
मेरे साथ....|
*#असकरन_दास_जोगी*
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