मैं बंद मुठ्ठी हूँ

*#मैं_बंद_मुठ्ठी_हूँ*

आवेदन निवेदन
धरना प्रदर्शन
और सत्याग्रह में
हर आंदोलन के
क्षण-क्षण में
खुला रहूँ तो
कोई भाव नहीं देता
इस लिए
अपने माँगों को लेकर
बंध जाता हूँ
कभी इंक़लाब
कभी यलगार
क्रांति के हर पथ में
मैं हूँ तैयार
मशालों को पकड़ने
फिर खुल जाता हूँ
तब लोगों को
आवाज़ मिलता है
गज जैसे चिंघाड़ों से
अधिकार मिलता है
सुनो..
एकता का प्रतिक हूँ
देखो-देखो...
मैं बंद मुठ्ठी हूँ...!

*#असकरन_दास_जोगी*

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